भारत का सबसे बड़ा ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट Nifty Bank, जिसे कई रिटेल F&O ट्रेडर्स लॉटरी टिकट के रूप में देखते थे, आज अपनी आखिरी वीकली एक्सपायरी देखेगा। क्योंकि अगले हफ्ते से सेबी के नए नियम लागू हो रहे हैं। बाजार नियामक ने NSE और BSE दोनों एक्सचेंजों से कहा था कि वे केवल एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट के लिए ही वीकली एक्सपायरी रखें। ऐसे में BSE ने Sensex को चुना। जबकि NSE ने Nifty को चुना, जबकि Nifty Bank ज्यादा लोकप्रिय था। इसके अलावा Nifty Midcap Select की आखिरी साप्ताहिक एक्सपायरी 18 नवंबर को होगी। जबकि Nifty Financial Services की आखिरी साप्ताहिक एक्सपायरी 19 नवंबर को होगी।
क्या एक ही दिन होगी सभी मंथली एक्सपायरी?
Nifty Bank और अन्य दो इंडेक्स मंथली एक्सपायरी ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध रहेंगे। NSE के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा, "हम सेबी के साथ बातचीत कर रहे हैं कि क्या सभी मासिक एक्सपायरी एक ही दिन पर होनी चाहिए या सप्ताह के विभिन्न दिनों में। दिशानिर्देश आ रहे हैं।"
Nifty Bank का दबदबा
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में Nifty Bank ने डेरिवेटिव्स मार्केट में प्रीमियम टर्नओवर के मामले में 38% के सबसे बड़े हिस्से पर कब्जा किया। Nifty दूसरे स्थान पर था, जिसका शेयर 28% था, उसके बाद BSE Sensex 7% और BSE Bankex 3% था। अब Nifty Bank के ट्रेडर्स को अन्य विकल्पों की तलाश करनी होगी। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि वॉल्यूम अब मासिक एक्सपायरी के साथ-साथ अन्य प्रोडक्ट्स में शिफ्ट होगी।
क्या था सेबी का उद्देश्य?
ईटी ने अपनी एक रिपोर्ट में जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेस के चीफ मार्केट स्ट्रेटेजिस्ट आनंद जेम्स के हवाले से लिखा, ''Nifty Bank और Nifty weeklies अलग-अलग प्रकार के ट्रेडर्स को ध्यान में रखते हैं। जबकि Nifty एक व्यापक बाजार बेंचमार्क है, Nifty Bank एक सेक्टोरल इंडेक्स है और इसमें सबसे कम घटक होते हैं और इसका लॉट साइज छोटा होता है, जिससे यह दोनों में सबसे ज्यादा वोलैटाइल होता है। तो जो लोग इसके वाइल्ड स्विंग्स और कई ट्रेडिंग अवसरों के आदी हो गए हैं, उन्हें निश्चित रूप से इसका अभाव महसूस होगा, लेकिन क्या यही सेबी का उद्देश्य नहीं था?"
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