Indian stock market में बीते छह महीनों से रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल रही है। बाजार ऊपर जाने की जगह नीचे आ रहा है। ऐसे में क्या आपको पता है कि इस गिरावट की अहम वजह क्या है? अगर नहीं तो हम आपको बता रहे हैं। भारतीय बाजार में लगातार बड़ी गिरावट की वजह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय बाजार से मोहभंग हो जाना। FPI लगातार अपने शेयर बेच रहे हैं, जिससे उनकी हिस्सेदारी शेयर मार्केट में घटकर करीब तीन साल के नीचले स्तर पर आ गई है। ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का स्वामित्व या हिस्सा इस साल मार्च में 19.5 प्रतिशत तक गिरकर 619 अरब डॉलर रह गया, जो कोविड-पूर्व स्तर के करीब है। एनएसई-500 कंपनियों के विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है।
पिछले तीन वर्षों में सबसे कम निवेश
ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2022 में भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई का स्वामित्व घटकर 19.5 प्रतिशत पर आ गया जो पिछले तीन वर्षों में सबसे कम है। इसके पहले मार्च, 2019 में एफपीआई का स्वामित्व 19.3 प्रतिशत रहा था। रिपोर्ट के अनुसार, साल-दर-साल आधार पर विदेशी कोषों की हिस्सेदारी मार्च, 2021 में 21.2 प्रतिशत के दूसरे सर्वोच्च स्तर पर थी। दिसंबर, 2021 में विदेशी कोषों के पास घरेलू शेयरों का सर्वाधिक 21.4 फीसदी स्वामित्व रहा था। यह अनुपात दिसंबर, 2017 में पांच वर्षों के न्यूनतम स्तर 18.6 प्रतिशत पर रहा था। मार्च, 2022 में जहां एफपीआई का घरेलू बाजार में स्वामित्व घटा वहीं घरेलू कोषों ने इस अवधि में छह अरब डॉलर का निवेश कर अपना स्वामित्व बढ़ाया।
घरेलू निवेशकों ने बढ़ाया अपना निवेश
इस रिपोर्ट के मुताबिक, समूचे वित्त वर्ष 2021-22 में घरेलू कोषों ने 14.6 अरब डॉलर का निवेश किया। रिपोर्ट कहती है कि एफपीआई के स्वामित्व वाले 619 अरब डॉलर में सर्वाधिक 16.2 प्रतिशत का बढ़ा हुआ आवंटन ऊर्जा क्षेत्र को किया गया। इसके बाद आईटी क्षेत्र को 14.8 फीसदी और संचार सेवा को चार फीसदी कोष मिला। मार्च, 2022 विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजारों से निकासी जारी रखने का लगातार छठा महीना रहा।
इन बाजारों से भी निकाल रहे पैसा
भारत के अलावा ताइवान, दक्षिण कोरिया एवं फिलिपीन जैसे अन्य उभरते बाजारों से भी एफपीआई निकासी कर रहे हैं। घरेलू शेयरों में आई रिकॉर्ड गिरावट की मुख्य वजह मार्च में 5.4 अरब डॉलर की निकासी थी। समूचे वित्त वर्ष 2021-22 में 15.7 अरब डॉलर की निकासी हुई। इसके पहले वर्ष 2019-20 में एफपीआई ने भारतीय बाजार में 23 अरब डॉलर और 2020-21 में 3.7 अरब डॉलर का निवेश किया था।
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