Stock Market Next Week: शेयर बाजार में सोमवार को और बड़ी गिरावट या बाउंस बैक? जानें पूरा आउटलुक यहां
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने कहा, दिसंबर महीने के अनुबंधों की निर्धारित डेरिवेटिव समाप्ति निवेशकों को व्यस्त रखेगी।
भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली देखने को मिल रही है। बाजार में बड़ी बिकवाली आने से निवेशकों को पिछले हफ्ते 15.77 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। इससे लाखों निवेशकों में डर का माहौल है। ऐसे में अगले हफ्ते यानी सोमवार से बाजार की चाल कैसी रहेगी? क्या बाजाार में गिरावट का दौर जारी रहेगा या बाजार बाउंस बैक कर तेजी की राह पर लौटेगा। बाजार के जानकरों का कहना है कि वैश्विक सेंटिमेंट ठीक नहीं है। ऐसे में बाजार में तेजी की उम्मीद अभी नहीं है। आपको बाता दें कि पिछले सप्ताह सेंसेक्स 1,492.52 अंक या 2.43 प्रतिशत टूटा, जबकि निफ्टी में 462.20 अंक या 2.52 प्रतिशत की गिरावट आई।
शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (तकनीकी अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने कहा, दिसंबर महीने के अनुबंधों की निर्धारित डेरिवेटिव समाप्ति प्रतिभागियों को व्यस्त रखेगी। इसके अलावा कोविड संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी से अस्थिरता बढ़ेगी। अगले सप्ताह रुपये की चाल, ब्रेंट क्रूड तेल और विदेशी निवेशकों के रुख पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, चीन में कोविड संक्रमण में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका से वैश्विक इक्विटी बाजार प्रभावित होंगे।'' जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने का अनुमान है, क्योंकि निवेशक चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर नजर रख रहे हैं।
कोरोना महामारी से एक बार फिर सहमा बाजार
विश्लेषकों के मुताबिक वैश्विक रुझान और चीन में कोविड महामारी की स्थिति इस सप्ताह शेयर बाजारों की चाल तय करेंगे। इसके अलावा बृहस्पतिवार को वायदा सौदों के पूरा होने के बीच अस्थिरता बनी रह सकती है। विश्लेषकों के अनुसार चीन और कुछ अन्य देशों में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच पिछले सप्ताह निवेशकों की धारणा कमजोर रही। इसके अलावा, अमेरिका के मजबूत वृद्धि आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व के अपने आक्रामक रुख को जारी रखने की गुंजाइश दी। इस वजह से भी बाजार में कमजोरी आई। अगर कोरोना के मामले चीन के अलावा दुनिया के दूसरे देश में तेजी से बढ़ते हैं तो हालात और खराब हो सकते हैं।