कहते हैं कि 'अमेरिका को छींक आए तो पूरी दुनिया को जुखाम हो जाता है', मौजूदा हफ्ता कारोबार और शेयर बाजार के हिसाब से ऐसा ही बीता। अमेरिका में मंदी की आहट से भारत और दुनिया शेयर बाजारों के लिए मौजूदा सप्ताह किसी बुरे ख्वाब जैसा रहा। पहले अमेरिका में 40 साल में सर्वाधिक महंगाई के आंकड़े ने बीते शुक्रवार को ही गिरावट की आहट दे दी थी। वहीं 24 साल में ब्याज दरों की सबसे बड़ी वृद्धि ने अमेरिकी मंदी की आशंकाओं को पुख्ता कर दिया।
भारतीय बाजार की बात करें तो बीता हफ्ता मई 2020 के बाद सबसे मनहूस साबित हुआ। खराब वैश्विक संकेतों और विदेशी निवेशकों की द्वारा धड़ाधड़ बिकवाली की वजह से पांच दिनों के कारोबार में निफ्टी 5.8 फीसदी टूट गया। हफ्ते के आखिरी दिन निफ्टी 67 अंक या 0.44 प्रतिशत की गिरावट के साथ 15,277.90 पर बंद हुआ। वहीं बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 135 अंक या 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 51,360.42 के स्तर पर बंद हुआ। यह दोनों सूचकांक का 52 हफ्ते का सबसे निचला स्तर रहा।
एशियन बाजारों में निक्केई धराशाई
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बीता हफ्ता एशियाई बाजारों के लिए बेहद खराब रहा। जापान का निक्केई सूचकांक 6.7 फीसदी की दर से गिर गया। वहीं साउथ कोरिया को कोस्पी भी 6 प्रतिशत लुढ़क गया। शुक्रवार की बात करें तो निक्केई में 2.33 फीसदी कमजोरी के साथ बंद रहा। हालांकि हैंगसेंग में 0.99 फीसदी बढ़त रही तो ताइवान वेटेड में 0.81 फीसदी और कोस्पी में 1.16 फीसदी कमजोरी देखने को मिली।
मेटल शेयर 1 महीने में 32% तक गिरे
शेयर बाजार में वैसे तो सभी सेक्टर में गिरावट है, लेकिन बीते एक महीने के दौरान मेटल शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट आई है। मैटल शेयर 10% से 32% तक टूट चुके है। बीते महीने महंगाई को कम करने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट ड्यूटी जहां बढ़ा दी, वहीं स्टील इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले रॉ मटेरियल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी थी। इससे टाटा स्टील स्टील 23% और जिंदल स्टील में 32% टूट गया। हिंडाल्को इंडस्ट्री में इस दौरान 23% और JSW स्टील में 14% कमजोरी आई। नाल्को के शेयरों में 1 महीने में 23% गिरावट रही तो SAIL में 20% कमजोरी आई।
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