घरेलू शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन, चीन में बढ़ते अलोकेशन तथा अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि के कारण विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 22,420 करोड़ रुपए निकाले हैं। इस बिकवाली के साथ, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2024 में अब तक कुल 15,827 करोड़ रुपये निकाले हैं। फ़ोरविस माज़र्स इन इंडिया के साझेदार, वित्तीय सलाहकार अखिल पुरी ने कहा कि लिक्विडिटी कम होने के साथ-साथ एफपीआई प्रवाह अल्पावधि में कम रहने की उम्मीद है।
शॉर्ट टर्म में सुधार की उम्मीद कम
जनवरी की शुरुआत से पहले एफपीआई गतिविधि में सकारात्मक बदलाव की संभावना नहीं है, जिससे कुल मिलाकर बाजार की धारणा कमज़ोर बनी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, इस महीने अब तक एफपीआई ने 22,420 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी दर्ज की है। यह अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी के बाद आया है, जो सबसे खराब मासिक निकासी थी। इससे पहले, मार्च, 2020 में एफपीआई ने इक्विटी से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे। सितंबर, 2024 में विदेशी निवेशकों ने नौ महीने के उच्चतम स्तर 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया।
क्यों हो रही बिकवाली?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अक्टूबर से एफपीआई की लगातार बिकवाली तीन कारकों के संयुक्त प्रभाव के कारण हुई है। ये कारक भारत में उच्च मूल्यांकन, आय में गिरावट को लेकर चिंताएं और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के कारण धारणाओं का प्रभावित होना है। दूसरी ओर, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान डेट जनरल लिमिट में 42 करोड़ रुपये और डेट स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) में 362 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस साल अब तक एफपीआई ने डेट मार्केट में 1.06 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
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