शेयर मार्केट में जबरदस्त गिरावट के बीच क्या म्यूचुअल फंड निवेशकों को रोक देनी चाहिए अपनी SIP?
Mutual funds SIP : जब निवेशक बाजार गिरने के दौरान म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदते हैं, तो उनकी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की औसत कीमत कम हो जाती है, जिससे तेजी के दौरान अधिक लाभ कमाने की संभावना बढ़ जाती है।
भारतीय शेयर बाजार अपने ऑल टाइम हाई से करीब 10 फीसदी से अधिक गिर चुका है। इससे खुदरा निवेशकों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मार्केट में आई इस गिरावट ने बड़ी संख्या में खुदरा निवेशकों को डरा दिया है और वे अब अपने निवेश को जारी नहीं रखना चाहते। प्रमुख सूचकांक निफ्टी अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर 26,277 से 10 प्रतिशत से अधिक गिर गया है। जबकि सेंसेक्स अपने हाई से 8,500 अंक से अधिक फिसल गया है। हालांकि, यह अभी तक मंदी का बाजार यानी बियर मार्केट नहीं है। जब मार्केट अपने हाई से 20 फीसदी गिर जाता है, तो उसे बियर मार्केट माना जाता है। लेकिन रिटेल इन्वेस्टर्स का दुख फिर भी बहुत बड़ा है।
निवेशकों के मन में हैं कई उलझनें
कुछ खुदरा निवेशकों का मानना है कि बाजार के अपनी सही वैल्यूएशन पर आने तक इंतजार करना सही है, बजाय निवेश जारी रखने के। इस समय निवेशकों के मन में कई सवाल हैं। जैसे- क्या उन्हें बाजार के अपने सही वैल्यूएशन पर आने तक इंतजार करना चाहिए? जब बाजार लगातार गिर रहा हो तो निवेश क्यों करें? आगे और अधिक गिरावट आने की संभावना है, तो कुछ और समय क्यों न इंतजार किया जाए? इन बातों में कुछ सच्चाई हो सकती है, लेकिन सिर्फ एकमुश्त पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए, न कि एसआईपी निवेशकों के लिए। आइए समझाते हैं कैसे।
क्या रोक देनी चाहिए SIP?
जब निवेशक बाजार गिरने के दौरान म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदते हैं, तो उनकी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की औसत कीमत कम हो जाती है, जिससे तेजी के दौरान अधिक लाभ कमाने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, जब आप सभी मार्केट साइकल्स में यूनिट्स खरीदते हैं, तो कुल लागत एवरेज हो जाती है। यानी आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए 'सही' कीमत की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। सार यह है कि नियमित अंतराल पर खरीदते रहें।
गिरावट वाला बाजार खरीदारी के लिए है अच्छा
इसके अलावा, जब बाजार में गिरावट हो तो खरीदारी अच्छी मानी जाती है। एसआईपी रोकने के बजाय, निवेशकों को बाजार में गिरावट का लाभ उठाना चाहिए और इसे अधिक खरीदने के अवसर के रूप में उपयोग करना चाहिए। अक्टूबर 2024 में एसआईपी योगदान ₹25,322.74 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। जबकि सितंबर में यह ₹24,508.73 करोड़ था। एक साल पहले, अक्टूबर 2023 में एसआईपी योगदान ₹16,928 करोड़ था, इस प्रकार अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2024 के बीच एक वर्ष में 49.6 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत मिलता है। अक्टूबर 2024 में एसआईपी खातों की संख्या 10,12,34,212 पर सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। जबकि सितंबर 2024 में यह 9,87,44,171 थी।