अमेरिका में महंगाई की आग से पिघले शेयर बाजार, सेंसेक्स 773 अंक लुढ़क कर बंद, निफ्टी भी 17,400 से नीचे आया
कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में तीव्र गिरावट आने और विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी जारी रहने से बाजार पर दबाव बना रहा।
मुंबई। वैश्विक बाजारों में जारी बिकवाली दबाव से घरेलू शेयर बाजारों में शुक्रवार को सूचना प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय शेयरों में खासी गिरावट देखी गई जिससे मानक सूचकांक बीएसई सेंसेक्स 773 अंक लुढ़क गया और निफ्टी भी 17,400 के स्तर से नीचे आ गया। अमेरिका में मुद्रास्फीति चार दशकों के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने से फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दर में बढ़ोतरी की आशंका पैदा होने से वैश्विक बाजारों में बिकवाली का दौर देखा गया। इसका असर घरेलू स्तर पर भी कारोबारी धारणा पर पड़ा।
कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में तीव्र गिरावट आने और विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी जारी रहने से बाजार पर दबाव बना रहा। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिवस के अंत में 773.11 अंक यानी 1.31 प्रतिशत गिरकर 58,152.92 अंक पर आ गया। इसी तरह एनएसई का सूचकांक निफ्टी भी 231.10 अंक यानी 1.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,374.75 अंक पर खिसक आया।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से टेक महिंद्रा को सबसे अधिक 2.94 प्रतिशत का नुकसान हुआ। इसके साथ ही इन्फोसिस, एचसीएल टेक, एसबीआई, कोटक महिंद्रा बैंक और एचडीएफसी के शेयर भी घाटे के साथ बंद हुए। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में सिर्फ पांच शेयर ही मुनाफे में रहे। इंडसइंड बैंक, टाटा स्टील, एनटीपीसी, एमएंडएम और आईटीसी के शेयर 0.94 प्रतिशत तक चढ़ गए। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "नकारात्मक वैश्विक संकेतों से एफआईआई ने जमकर बिकवाली की जिससे घरेलू बाजार में अफरातफरी रही। अमेरिकी मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर रहने से फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका से बाजारों में गिरावट का दौर रहा। घरेलू मोर्चे पर सभी क्षेत्रों के सूचकांक घाटे में रहे।"
इस सप्ताह में सेंसेक्स में 491.90 अंक यानी 0.83 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि निफ्टी को 141.55 अंक यानी 0.80 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा। एम्के वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसफ थॉमस ने कहा, "बजट प्रस्तावों से बना हुआ सकारात्मक माहौल विदेशी घटनाक्रम से दबाव में आ गया। अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका ने विदेशी बाजारों में कारोबारी धारणा को प्रभावित किया। घरेलू बाजार में भी यह रुझान देखने को मिला। ये चिंताएं आने वाले कुछ और हफ्तों तक बनी रह सकती हैं।" बीएसई के सभी खंडों के सूचकांक नुकसान में रहे।
आईटी, टेक, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, रियल्टी और बुनियादी सामग्री खंडों के सूचकांक करीब 2.55 प्रतिशत तक गिर गए। बीएसई मिडकैप और स्मालकैप सूचकांक भी 1.90 प्रतिशत तक गिर गए। एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग, सोल और शंघाई के शेयर बाजार भी नुकसान में रहे। हालांकि टोक्यो का सूचकांक लाभ में बंद हुआ। यूरोपीय बाजारों में भी दोपहर सत्र में बिकवाली का भारी दबाव देखा गया। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.43 प्रतिशत बढ़कर 91.80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
अंतर-बैंक मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे टूटकर 75.36 रुपया प्रति डॉलर पर रहा। इस बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पूंजी बाजार में बिकवाली का सिलसिला जारी रखा है। शेयर बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक, एफआईआई ने बृहस्पतिवार को 1,732.58 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिक्री की।