नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की ओर से इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड ट्रस्ट में क्लेम की लिमिट में इजाफा कर दिया गया है। इसके बाद निवेशक एक क्लेम में 35 लाख रुपये तक का हर्जाना मांग सकते हैं। पहले यह लिमिट 25 लाख रुपये थी। एनएसई की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि ये लिमिट उन ट्रेडिंग सदस्यों के लिए बढ़ाई गई है, जो डिफॉल्टर घोषित हो जाते हैं या फिर बाहर निकाल दिए जाते हैं। एनएसई की ओर से आगे कहा कि एक्सचेंज बाय लॉ के चैप्टर XIII के क्लॉज 15 के तहत किसी सिंगल क्लेम पर निवेशक को भुगतान की सीमा को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 35 लाख रुपये की गई है। आगे कहा कि यह लिमिट उन ट्रेडिंग सदस्यों के लिए है, जो स्वयं को डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं या फिर किसी कारण से निकाल दिए जाते हैं।
डिफॉल्टर घोषित करने पर मिलता है लाभ
इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड को निवेशकों को ऐसी स्थिति से निकालने के लिए शुरू किया गया था, जब उनके पास अपनी देनदारियां पूरी करने के लिए एसेट्स नहीं होती हैं और वे खुद को डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं। देश में निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश में पंजीकृत यूनिक निवेशकों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। वहीं, कुल क्लाइंट कोड (अकाउंट) की संख्या 19 करोड़ तक पहुंच गई है।
निफ्टी ने 11.8 प्रतिशत का रिटर्न दिया
एक्सचेंजों के डेटा के मुताबिक, इस वित्त वर्ष की शुरुआत से 31 जुलाई तक निफ्टी ने 11.8 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। वहीं, निफ्टी 500 इंडेक्स ने 16.2 प्रतिशत का रिटर्न इसी अवधि में निवेशकों को दिया है। एनएसई का अप्रैल-जून तिमाही का मुनाफे में सालाना आधार पर 39 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 2,567 करोड़ रुपये हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी की आय सालाना आधार पर 51 प्रतिशत बढ़कर 4,510 करोड़ रुपये हो गई है।
इनपुट: आईएएनएस
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