वैसे तो म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को ठीक-ठाक रिटर्न दे देते हैं, लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में निवेशक अपनी पूंजी को लेकर चिंतित रहते हैं। लोगों को यह डर लगा रहता है कि कहीं उनका निवेश किसी बड़े जोखिम वाले फंड में तो नहीं है। अब सेबी निवेशकों की यह समस्या दूर करने जा रहा है। बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड स्कीम पर जोखिम के लेवल को बेहतर तरीके से प्रदर्शित करने के लिए कलर कोडिंग करने का प्रपोजल दिया है। इससे निवेशक आसानी से यह जान पाएंगे कि कौन-सी म्यूचुअल फंड स्कीम में कितना जोखिम है।
म्यूचुअल फंड में आप एसआईपी के जरिए हर महीने एक छोटी रकम का निवेश भी कर सकते हैं। आप चाहें तो एनुअल स्टेप अप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें हर साल मंथली एसआईपी की रकम में कुछ तय प्रतिशत का इजाफा करना होता है। आमतौर पर म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म में 12 फीसदी का औसत सालाना रिटर्न मिल जाता है।
लोगों से मांगे सुझाव
सेबी ने कहा है कि फंड्स जोखिम के लेवल को इस तरह से दिखाएं, जिससे ग्राहकों को आसानी से समझ में आ जाए। सेबी के प्रपोजल के अनुसार, रिस्क के 6 लेवल्स के लिए कलर कोडिंग होगी। इसके अनुसार, हरा रंग कम रिस्क को और लाल रंग बहुत अधिक रिस्क को दिखाएगा। अगर किसी म्यूचुअल फंड के रिस्क लेवल में बाद में कोई परिवर्तन होता है, तो इसकी जानकारी भी निवेशक को तुरंत दी जाएगी। यह जानकारी SMS या ई-मेल के जरिए दी जाएगी। इससे निवेशक को समय-समय पर अपने म्यूचुअल फंड में रिस्क लेवल की जानकारी मिलती रहेगी। सेबी ने इस प्रपोजल पर 18 अक्टूबर तक लोगों से सुझाव मांगे हैं।
ये होंगे रिस्क के 6 लेवल
- हरा : निम्न जोखिम
- हल्का हरा-पीला : निम्न से मध्यम जोखिम
- चमकीला पीला : मध्यम जोखिम
- हल्का भूरा : मध्यम उच्च जोखिम
- गहरा नारंगी : उच्च जोखिम
- लाल : बहुत उच्च जोखिम
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