कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन जैसे जैसे दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, वैसे ही दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं भी लॉकडाउन की वापसी को लेकर चिंता में हैं। भारतीय शेयर बाजार भी इस चिंता से महरूम नहीं है। सोमवार को बाजार खुलते ही लाल निशान पर आ गया। तेज गिरावट के साथ थोड़ी ही देर में सेंसेक्स 1700 अंक और निफ्टी 550 अंक टूट गया। आखिरकार मार्केट ने थोड़ी रिकवरी ली और सेंसेक्स 1,189.73 अंक गिरकर बंद हुआ।
बीते दो सत्र में निवेशकों के 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा डूब गए है। आज सेंसेक्स में शामिल लगभग सभी कंपनियां लाल निशान पर थीं। विशेषज्ञों की मानें तो ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने निवेशक चिंता में है। ब्रिटेन सहित यूरोप के कई देशों में तेजी से संक्रमण फैल रहा है। भारत में भी ओमिक्रॉन तेजी से पैर पसार रहा है।
एफआईआई की जबर्दस्त बिकवाली जारी
शेयर बाजार पर ओमिक्रॉन का खतरा आने से पहले ही बाजार में बिकवाली का क्रम जारी है। एफआईआई बीते दो तीन महीने से जबर्दस्त बिकवाली कर रहे हैं। नवंबर में विदेशी फंडों ने 37000 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की थी। वहीं दिसंबर में भी 26 हजार करोड़ से अधिक की बिकवाली हो चुकी है। शुक्रवार को ही विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2,069.90 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
यूरोप के कई देशों में बंदिशें
शेयर बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण विदेशों से आ रहे खराब समाचार हैं। यूरोप में अमूमन दिसंबर का महीना छुट्टियों का होता है। इस दौरान क्रिसमस की छुट्टियों में लोग खूब घूमते हैं और जमकर खर्च करते हैं। लेकिन इस बार ओमिक्रॉन के डर के चलते नीदरलैंड ने त्योहारों के मौसम के ठीक बीच में लॉकडाउन लगाया है। यूके ने पहले ही यात्रा प्रतिबंध लगा दिए थे। जर्मनी और ऑस्ट्रिया जैसे देश अपनी नवीनतम कोविड लहरों के बीच लॉकडाउन लगा चुके हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन में ब्याज दरें बढ़ने का खतरा
पिछले हफ्ते ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए 2022 के अंत तक तीन बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए है। फेडरल रिजर्व के बाद अब अन्य सेंट्रल बैंक भी कठोर रुख अपना सकते है। बैंक ऑफ इंग्लैंड गुरुवार को COVID-19 महामारी शुरू होने के बाद से ब्याज दरें बढ़ाने वाला पहला प्रमुख केंद्रीय बैंक बन गया। नॉर्वे ने इस साल दूसरी बार 16 दिसंबर को COVID प्रतिबंधों के विस्तार के बावजूद दरें बढ़ाईं, जबकि रूस ने इस साल 17 दिसंबर को सातवीं बार अपनी नीतिगत दर बढ़ाई। ऐसे में निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई है।
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