Adani Group Shares Lower Circuit: आज फिर भारतीय शेयर बाजार ने सपाट शुरुआत की। अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार आ रही गिरावट भी इसका एक मुख्य वजह है। कंपनी के ऊपर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों के चलते ये सब हो रहा है। अडानी ग्रुप के शेयर पर लगभग हर होज लोअर सर्किट लग जा रहा है। बाजार में कुछ ऐसे भी शेयर हैं, जिनपर अपर सर्किट लग रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये दोनों क्या होता है? और किस स्थिति में इसे शेयर पर अप्लाई किया जात है। इसे तय करने की लिमिट क्या होती है? क्या इसके लिए कोई नियम भी बनाए गए हैं। इससे किसे फायदा होता है? और क्या ये स्वत: लगता है या फिर किसी के कहने पर लगाया जाता है। ऐसे तमाम सवालों के जवाब आज हम आपको देने जा रहे हैं।
उदाहरण से समझें कैसे लगता है सर्किट
उदाहरण से समझते हैं, अगर किसी शेयर का प्राइस अचानक से बढ़ने लगता है तब उसके ऊपर अपर सर्किट लगा दिया जाता है। यह सेम प्रक्रिया लोअर सर्किट के साथ होती है, जब किसी कंपनी का शेयर अचानक से बिकवाली होने लगता है तब उस दिन लोअर सर्किट लगा दिया जाता है। एक बार जब किसी कंपनी के शेयर पर सर्किट लग जाता है, उस दिन उस शेयर की खरीद-बिक्री नहीं हो पाती है। यह नियम बीसएई और एनएसई द्वारा कंपनी को बचाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। बता दें किसी भी कंपनी के स्टॉक के आधार पर एक्सचेंजों ने 5%, 10% या 20% की सीमा निर्धारित की है। यदि इसके हिसाब से शेयर ऊपर-नीचे होते हैं तो सर्किट अप्लाई हो जाता है। अगर हम अडानी ग्रुप के शेयर से समझें तो पता चलता है कि अडानी पावर में आज लोअर सर्किट 5% पर लगा हुआ है। पावर का शेयर अभी 148.30 पर बना हुआ है और उसका आज के लिए कारोबार बंद हो गया है। इससे उस दिन कंपनी का शेयर और नीचे नहीं जाता और अचानक से कंपनी का अधिक नुकसान होने से बच जाता है। इसके साथ ही जिन निवेशकों ने उसमें पैसा लगाया है उन्हें भी घाटा नहीं उठाना पड़ता है।
सर्किट खुद से कैसे जांचें?
- https://www.nseindia.com/ या https://www.bseindia.com/ लॉग इन करें।
- सर्च बार पर कंपनी का नाम, सिंबल या कीवर्ड टाइप करें।
- 'मूल्य सूचना' तालिका के तहत, उस दिन स्टॉक के ऊपरी बैंड और निचले बैंड की जांच करें।
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