ईरान-इजराइल संघर्ष, कंपनियों के तिमाही नतीजे और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से इस सप्ताह शेयर बाजारों का रुख प्रभावित होगा। विश्लेषकों ने यह राय देते हुए साथ ही जोड़ा कि कच्चे तेल और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल से भी बाजार प्रभावित होगा। स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा कि ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष को लेकर चल रही चिंताओं के बीच यह सप्ताह बाजार के लिए बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि अगर तनाव काफी बढ़ जाता है, तो वैश्विक शेयर बाजारों में घबराहट में बिक्री और अस्थिरता बढ़ने का जोखिम है। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स में 1,156.57 अंक या 1.55 फीसदी की गिरावट आई थी। टॉप-10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से 6 के संयुक्त बाजार मूल्यांकन में इस सप्ताह 1,40,478.38 करोड़ रुपये की गिरावट आई थी।
क्रूड ऑयल की कीमतों पर रहेगी नजर
इसके अलावा, बाजार कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर कड़ी नजर रखेगा, क्योंकि भू-राजनीतिक घटनाएं अक्सर उन्हें प्रभावित करती हैं। इस सप्ताह टेक महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, नेस्ले, बजाज फिनसर्व, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और मारुति के तिमाही नतीजों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स में 1,156.57 अंक या 1.55 प्रतिशत की गिरावट आई थी। जबकि निफ्टी 372.4 अंक या 1.65 प्रतिशत टूट गया।
कंपनियों के तिमाही नतीजों पर भी रहेगी नजर
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह वैश्विक संकेतों के साथ ही कंपनियों के तिमाही नतीजों पर नजर रहेगी। उन्होंने कहा कि निवेशक अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस पीएमआई आंकड़ों, अमेरिका की पहली तिमाही के जीडीपी और जापान की मौद्रिक नीति पर भी नजर रखेंगे।
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