बीते वित्त वर्ष यानी 2023-24 में कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये जोरदार पूंजी जुटाए हैं। महज 76 कंपनियों ने इस दौरान आईपीओ के जरिये करीब 62,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह राशि इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 19 प्रतिशत अधिक है। यह पिछले वित्त वर्ष में 37 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 52,115 करोड़ रुपये से कहीं अधिक था। भाषा की खबर के मुताबिक, शेयर बाजारों में तेजी, खुदरा निवेशकों की जोरदार भागीदारी और संस्थागत निवेशकों के मजबूत निवेश की वजह से आईपीओ बाजार में तेजी देखी गई। पेंटोमैथ फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में भी यह तेजी जारी रहने की उम्मीद है और आईपीओ के लिए यह एक और शानदार साल रह सकता है।
FY2024-25 में जुटाए जा सकते हैं एक लाख करोड़ रुपये
खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया कि यह भरोसा घरेलू पूंजी में वृद्धि, बेहतर शासन पद्धतियां, बढ़ती उद्यमशीलता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के अनुकूल रुख के चलते है। पेंटोमैथ फाइनेंशियल ने अनुमान जताया कि चालू वित्त वर्ष में आईपीओ के जरिये एक लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक महावीर लुनावत ने कहा कि अगर भारतीय बाजार किसी वैश्विक संकट से प्रभावित नहीं होता है, तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
नए सूचीबद्ध शेयरों को भी फायदा
एसएंडपी बीएसई आईपीओ इंडेक्स, जो नई लिस्टेड कंपनियों के लिस्टिंग के बाद के प्रदर्शन पर नज़र रखता है, इस वित्तीय वर्ष में 69 प्रतिशत उछल गया। छोटे और मिडकैप खंडों में तेजी से नए सूचीबद्ध शेयरों को भी फायदा हुआ है क्योंकि ज्यादातर इसी समूह के हैं। वित्त वर्ष 2024 में कई क्षेत्रों की कंपनियों ने आईपीओ बाजार का लाभ उठाया। आईपीओ से हुए फायदे को कई कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सेकेंडरी बाजारों में तेजी, आईपीओ में खुदरा निवेशकों की उत्साही भागीदारी और संस्थागत निवेशकों के मजबूत प्रवाह ने इन लाभों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्राइम डेटाबेस द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि एसएमई (लघु और मध्यम उद्यमों) आईपीओ गतिविधि में बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में इस सेगमेंट में भारी वृद्धि देखी गई, जिसमें 200 एसएमई आईपीओ ने 5,838 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 125 आईपीओ ने 2,235 करोड़ रुपये जुटाए थे। सबसे बड़ा एसएमई आईपीओ केपी ग्रीन इंजीनियरिंग का था जिसने 180 करोड़ रुपये जुटाए थे।
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