करीब 20 साल पुराने एक मामले में आईपीओ में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने वर्ष 2003-05 के दौरान आईपीओ से जुड़ी अनियमितताओं के मामले में निवेशकों को पैसे लौटाने के तीसरे चरण में करीब 15 करोड़ रुपये बांटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह मामला 2003 से 2005 के बीच का है। इस दौरान आए 21 आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में निवेशकों को शेयर आवंटित किए जाते समय धांधली की गई थी।
दो चरणों में वापस मिले हैं पैसे
इससे पहले सेबी दो चरणों में निवेशकों के पैसे वापस कर चुका है। इसमें पहला चरण अप्रैल, 2010 में आयोजित हुआ था, जिसमें सेबी ने 23.28 करोड़ रुपये लौटाए थे। वहीं दिसंबर, 2015 में संचालित दूसरे चरण में सेबी 18.06 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटा चुका है। तीसरे चरण में 2.58 लाख निवेशकों के बीच 14.87 करोड़ रुपये वितरित किए जाएंगे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा कि 2003-05 के दौरान आए 21 आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में निवेशकों को शेयर आवंटित किए जाते समय धांधली की गई थी। इस प्रकरण की जांच पूरी होने के बाद गैरकानूनी ढंग से अर्जित आय लौटाने का निर्देश दिया था।
उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देश पर हुआ रिफंड
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डी पी वाधवा की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने इन आईपीओ के दौरान धांधली के शिकार हुए निवेशकों की पहचान के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की थी। उनके सुझावों के आधार पर 13.57 लाख लोगों को पात्र निवेशकों के तौर पर चिह्नित किया गया था। इनमें से 10.02 लाख निवेशकों को पूर्ण पात्र राशि चुका दी गई जबकि 97,657 निवेशकों को इससे बाहर रखा गया। अब सेबी ने तीसरे चरण में 2.58 लाख निवेशकों को 14.87 करोड़ रुपये देने की प्रक्रिया 17 अगस्त को शुरू कर दी। इनमें से 1.15 लाख निवेशकों को पहले भी आंशिक भुगतान मिल चुका है।
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