विदेशी निवेशकों को बढ़ी महंगाई और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने डराया, शेयर बाजार में इतना घटा निवेश
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अगस्त में मानसून कमजोर रहने और इसके असमतल वितरण से मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर रह सकती है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारतीय शेयर बाजारों में निवेश की रफ्तार अगस्त में कुछ सुस्त पड़ी है। इससे पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयरों में भारी निवेश किया था। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और मुद्रास्फीति के जोखिम के बीच इस महीने अबतक विदेशी निवेशकों का शेयर बाजारों में शुद्ध निवेश 10,689 करोड़ रुपये रहा है। कोटक सिक्योरिटीज लि.के खुदरा शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि वृहद आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से इस सप्ताह शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रह सकता है। इससे विदेशी निवेशक भारत सहित उभरते बाजारों से निकासी कर सकते हैं और अमेरिकी प्रतिभूतियों में निवेश बढ़ा सकते हैं।
इस महीने अब तक 10,689 करोड़ का निवेश
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अगस्त में मानसून कमजोर रहने और इसके असमतल वितरण से मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर रह सकती है। यह स्थिति बाजार की धारणा को प्रभावित करेगी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने अबतक यानी 26 अगस्त तक एफपीआई ने शेयरों में 10,689 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पिछले तीन माह में एफपीआई का निवेश लगातार 40,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा था। जुलाई में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 46,618 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जून में उनका निवेश 47,148 करोड़ रुपये रहा था। मई में उन्होंने शेयरों में 43,838 करोड़ रुपये डाले थे। इससे पहले अप्रैल में उनका निवेश 11,631 करोड़ रुपये और मई में 7,935 करोड़ रुपये रहा था।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर नजरें
मॉर्निंगस्टोर इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इस महीने एफपीआई के निवेश में सुस्ती की मुख्य वजह यह रही कि वे जैक्सन होल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कार्यक्रम का इंतजार कर रहे थे, जिससे आगामी मौद्रिक नीति के रुख का संकेत मिलता। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की अगली बैठक 19-20 सितंबर को होनी है। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में भी 5,950 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस साल भारतीय शेयरों में एफपीआई का निवेश 1.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। वहीं ऋण या बॉन्ड बाजार में उनका निवेश 26,400 करोड़ रुपये रहा है।