विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में अपनी रुचि दिखा रहा हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भारतीय अर्थव्यवस्था का स्थिर होना है। एक तरह जहां दुनिया भर में मंहगाई और मंदी चिंता का विषय बनी हुई तो वहीं भारत में दोनों के असर कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
दिसंबर में 11 हजार करोड़ से अधिक का निवेश
विदेशी निवेशकों ने दिसंबर में भारतीय शेयर बाजार में 11,119 करोड़ रुपये का निवेश किया। दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड संक्रमण के बावजूद यह लगातार दूसरा महीना था, जिसमें शुद्ध आवक हुई है। हालांकि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) हाल के दिनों में सतर्क हो गए हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर के महीने में एफपीआई द्वारा निवेश किए गए 36,239 करोड़ रुपये की तुलना में दिसंबर में निवेश बहुत कम था।
2022 विदेशी निवेश के हिसाब से सबसे खराब
मॉर्निंगस्टार इंडिया के संयुक्त निदेशक और रिसर्च प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ''दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड के फिर से उभरने और अमेरिका में मंदी की चिंता के बावजूद भारतीय इक्विटी बाजारों में एफपीआई (दिसंबर में) शुद्ध खरीदार बने रहे।'' इस दौरान कई निवेशकों ने भारतीय बाजारों में मुनाफावसूली भी की। एफपीआई ने कुल मिलाकर 2022 में भारतीय इक्विटी बाजारों से 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। एफपीआई आवक के लिहाज से यह सबसे खराब वर्ष था। इससे पहले तीन वर्षों में शुद्ध निवेश आया था।
आने वाला समय बेहद कठिन
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आने वाले समय में अमेरिका के व्यापक आर्थिक आंकड़े और कोविड संक्रमण की स्थिति से बाजार की चाल निर्धारित होगी। अमेरिकी डॉलर सूचकांक के कमजोर होने और सकारात्मक आर्थिक रुझानों के कारण आईपीआई का भारतीय बाजारों के प्रति रुझान बढ़ा। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में आठ करोड़ रुपये और सितंबर में 7,624 करोड़ रुपये निकाले थे।
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