गिरते हुए शेयर मार्केट में शेयर खरीदना कितना रिस्की ? जानिए क्या करें निवेशक
शेयर्स में पैसे डालने के लिए आपको उस कंपनी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए, जो नए नए इन्वेस्टर्स के पास अमूमन कम होती है।
आप कहेंगे, ये क्या फिजूल का सवाल है। ट्रेडिंग करने वाले इसमें शॉर्ट करेंगे, और इन्वेस्टमेंट करने वाले डीप में अच्छे शेयर खरीदेंगे। यहां हम इन्वेस्टमेंट की बात करेंगे। फिलहाल मार्केट बीयर फेज में जा रहा है, यानी मार्केट में गिरावट का दौर जारी है। जिस तरह खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है, उसी तरह अमेरिकी शेयर बाज़ार में गिरावट का असर धीरे धीरे ग्लोबल मार्केट पर भी पड़ रहा है, ऐसे में भारतीय बाज़ार इससे अछूता नहीं है। ऐसे में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के सामने दो सवाल खड़े होते हैं, वो पैसे म्यूचुअल फंड में डालें या फिर अच्छे शेयर को धीरे–धीरे खरीदते जाएं।
शेयर्स में पैसे डालने के लिए आपको उस कंपनी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए, जो नए नए इन्वेस्टर्स के पास अमूमन कम होती है। वो सड़े गले स्टॉक्स(पेनी स्टॉक्स) को भर भर कर खरीद लेते हैं, और फिर उसके डबल ट्रिपल होने का इंतजार करते हैं। वो दिन तो कभी नहीं आता, उल्टे वो रोज़ रोज़ शेयर को गिरते देखकर हतोत्साहित होकर घाटे में सौदा काटकर निकल जाते हैं, यानी औने पौने दाम में अपना शेयर बेच देते हैं, और जिंदगी भर टिप देने वाले को कोसते रहते हैं।
ऐसे हालात में क्या करना सही रहेगा?
या तो अच्छे शेयर को चुनिए, या फिर आंखें मूंदकर इंडेक्स फंड में पैसे डालते जाइए। नए निवेशकों के लिए दूसरा तरीका बेहतर होगा। एक बेहतरीन उदाहरण से आपको समझाता हूं। कोरोना के वक्त शेयर मार्केट करीब 35 फीसदी नीचे आया था। निफ्टी 50 उस वक्त 12 हज़ार से ऊपर था वो नीचे गिरकर साढ़े 7 हज़ार तक पहुंच गया था। ऐसे में जिस किसी ने धीरे धीरे इंडेक्स फंड में पैसे डाले थे उनके पैसे महज़ पौने 2 साल में ही डबल हो गए थे।
पैसे बनाने का सबसे सुरक्षित तरीका
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। कोरोना के चलते 17 फरवरी से 30 मार्च 2020 के बीच करीब डेढ़ महीने में निफ्टी 50 लगभग 4 हज़ार प्वाइंट नीचे आ गया था। सबके हाथ पांव फूल गए थे। ऐसे में कुछ लोगों ने अपनी SIP तक बंद करा दी थी। और कुछ लोगों ने lumpsum के जरिए हर 2 फीसदी की गिरावट पर पैसे डालने शुरू कर दिए। कुछ लोग ऐसे भी रहे जो साढ़े 7 हज़ार के लेवल तक पैसे डालते चले गए। यानी उन्होंने नीचे के लेवल पर अपने ज्यादा से ज्यादा पैसे लगाए। उसका नतीजा सबके सामने है। अभी मार्केट करीब पौने 2 साल बाद साढ़े 17 हज़ार के लेवल पर है। यानी उस समय के लेवल के लिहाज से डबल रेंज पर है। मान लिया कि उनके एवरेज प्राइस इन्वेस्टमेंट साढ़े 8 हज़ार का रहा तो अभी निफ्टी 50 के करेंट लेवल के मुताबिक उनके इंडेक्स फंड के पैसे डबल हो चुके हैं।
अब आप ये कहेंगे कि भाई जिसने अच्छे शेयर को उस समय खरीदा होगा उसके पैसे डबल नहीं ट्रिपल हो गए। ये बात बिलकुल सच है। लेकिन वैसे लोग जो बिल्कुल नए हैं उन्हें क्या मालूम कि जो शेयर अपने करेंट प्राइस से उस समय 15 फीसदी तक भी गिर गए थे, वो क्या वाकई में लेने लायक हो गए थे? क्यों आप सोच में पड़ गए न।
पैसे बचाने का ये ताजा उदाहरण समझिए
Bajaj Finance जो एक मल्टीबैगर शेयर रह चुका है(इसे किसी तरह का Recommendation न समझा जाए, इस शेयर को केवल उदाहरण के लिए यहां लिया गया है)..नए साल में यानी 5 जनवरी 2023 को ये शेयर 7% से अधिक नीचे आ गया। तो सबके मन में ये सवाल उठा कि क्या इस शेयर को लेना चाहिए। कुछ लोगों ने स्विंग ट्रेडिंग की। क्योंकि ऐसे शेयर एक दिन गिरते हैं तो दूसरे दिन बढ़ जाते हैं। इसी लालच में इन्वेस्टमेंट करने वाले लोग भी पड़ गए। लेकिन हुआ इसका उल्टा। अगले दिन भी इसका शेयर करीब 2% नीचे आ गया। अब वैसे इन्वेस्टर्स ट्रैप में फंस गए, जिन्होंने ज्यादा से ज्यादा पैसे पहले दिन के 7% गिरावट होने पर लगा दिया।
ट्रैप में फंसने की वजह समझिए
2 दिन में करीब 10% की गिरावट के बाद भी ये शेयर महंगा है। इसका Current price इसकी Intrinsic value से अब भी ज्यादा है। PE ratio भी 52 है जो इसके सेक्टर PE से 30 प्वाइंट अधिक है। PB ratio भी सेक्टर PB से 4 गुणा अधिक है। इसलिए ये शेयर इन्वेस्टमेंट के लिहाज से फिलहाल लेने लायक नहीं है। लेकिन नज़र बनाए रखना जरूरी है क्योंकि इसी शेयर ने मल्टीबैगर रिटर्न भी दिया है। अगर आपने इस शेयर को 20 साल पहले लिया होता तो उस वक्त का 4 रुपए का एक शेयर आज 6000 के पार हो गया होता। यानी आपको 137697% का रिटर्न मिला होता।