भारतीय शेयर बाजार में इस साल अच्छी-खासी तेजी देखी गई है। दिसंबर महीने में कई बार प्रमुख सूचकांकों ने अपने ही रिकॉर्ड तोड़े। इस उछाल के पीछे एक बड़ा कारण है विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी एफपीआई का बंपर निवेश। एफपीआई (FPIs) इस साल भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध खरीदार रहे हैं। नवंबर में तीन महीने की बिक्री का सिलसिला थमने के बाद दिसंबर में एफपीआई इनफ्लो में तेज उछाल आया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को रोकने के संकेतों और मार्च 2024 में ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों से विदेशी निवेशकों का कॉन्फिडेंस काफी बढ़ा है। ऐसे में उन्होंने भारतीय बाजारों में अपने निवेश को बढ़ाया है। ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी से गिरावट आई। इसके फलस्वरूप विदेशी फंड्स का भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ा है।
भारतीय बाजारों में FPI का निवेश
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच तेज वैश्विक अनिश्चितता और मिडिल ईस्ट में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव के बीच अमेरिकी बांड यील्ड में तेज उछाल के कारण अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में FPIs शुद्ध विक्रेता रहे थे। लेकिन बाद में उन्होंने बिकवाली के रुझान उलट दिया और 15 और 16 नवंबर को निवेश किया। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त, सितंबर, अक्टूबर और 15 नवंबर तक, FPIs ने कुल मिलाकर ₹83,422 करोड़ के शेयर बेचे। नवंबर के दौरान भारतीय इक्विटी में FPI का प्रवाह ₹9,001 करोड़ रहा। जबकि सितंबर और अक्टूबर में 39,000 करोड़ से अधिक के शेयर बेचे गए।
दिसंबर में की 66,134 करोड़ की खरीदारी
दिसंबर महीने में एफपीआई ने भारतीय बाजारों में जमकर खरीदारी की है। दिसंबर में एफपीआई इनफ्लो सबसे अधिक रहा है। दिसंबर में एफपीआई ने 66,134 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। इस तरह साल 2023 में एफपीआई ने कुल 1.65 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में निवेश किये हैं। साल 2022 में एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे।
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