भारतीय इक्विटी बाजारों से विदेशी निवेशकों का पलायन बीते सप्ताह बेरोकटोक जारी रहा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले पांच कारोबारी सत्रों में लगभग 20,000 करोड़ रुपये निकाले। घरेलू शेयरों के अधिक मूल्यांकन और चीन में अपना आवंटन स्थानांतरित करने के कारण एफपीआई ने बिकवाली की। ऐसे में एफपीआई 2024 में अब तक इक्विटी बाजार में शुद्ध विक्रेता बन गए हैं, और उन्होंने कुल 13,401 करोड़ रुपये की निकासी की है। आने वाले समय में एफपीआई की बिकवाली जारी रहने का अनुमान है।
19,994 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली
अगर तीसरी तिमाही के नतीजे और प्रमुख संकेतक आय में सुधार का संकेत देते हैं, तो यह परिदृश्य बदल सकता है और एफपीआई बिकवाली कम कर सकते हैं। मोजोपीएमएस के मुख्य निवेश अधिकारी सुनील दमानिया ने कहा कि अमेरिका में नव निर्वाचित राष्ट्रपति जनवरी 2025 में पदभार ग्रहण करेंगे। इसलिए भारतीय बाजार निकट अवधि में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों, कॉरपोरेट आय और खुदरा निवेशकों के रुख से प्रभावित होगा। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अब तक 19,994 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है।
अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये के शेयर बेचे
इससे पहले अक्टूबर में उन्होंने 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। यह एफपीआई की अब तक की सबसे अधिक बिकवाली थी। सितंबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था। एफपीआई के भारतीय इक्विटी से बाहर निकलने का एक प्रमुख कारण चीन के प्रति उनका नया आकर्षण है। उनका मानना है कि इस समय चीन का मूल्यांकन आकर्षक है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के संयुक्त निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि चीन ने हाल ही में अपनी धीमी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए कई उपाय किए हैं।
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