स्टॉक मार्केट में बदहवास पैसा लगा रहे विदेशी निवेशक, सितंबर में डाले 57,359 करोड़, जानें एकदम से क्यों हुए लट्टू?
यह दिसंबर, 2023 के बाद सबसे अधिक शुद्ध प्रवाह है। उस समय एफपीआई ने शेयरों में 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जून से एफपीआई लगातार निवेश कर रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजार पर एक बार फिर विदेशी निवेशक लट्टू हो गए हैं। वह जिस तेजी से पैसा डाल रहे हैं, उससे प्रतित होता है कि उनको पीछे छूटने का डर है। उन्हें लग रहा है कि भारतीय बाजार की इस तेजी को कहीं मिस न कर जाएं। आपको बता दें कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने सितंबर में अबतक भारतीय शेयर बाजारों में 57,359 करोड़ रुपये डाले हैं, जो उनके निवेश का नौ माह का उच्चस्तर है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती के बाद एफपीआई का भारतीय बाजार में निवेश लगातार बढ़ रहा है।
1 लाख करोड़ से ऊपर का निवेश
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल यानी 2024 में एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। शोध विश्लेषक कंपनी गोलफाई के स्मॉलकेस प्रबंधक और संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रॉबिन आर्य ने कहा, आगे चलकर एफपीआई का प्रवाह मजबूत बना रहेगा। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कटौती तथा भारत की मजबूत बुनियाद की वजह से एफपीआई भारतीय बाजार पर दांव लगा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति प्रबंधन तथा तरलता से संबंधित फैसले इस रफ्तार को कायम रखने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 27 सितंबर तक शेयरों में 57,359 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। अभी इस महीने का एक कारोबारी सत्र बचा है।
दिसंबर, 2023 के बाद सबसे तेज निवेश
यह दिसंबर, 2023 के बाद सबसे अधिक शुद्ध प्रवाह है। उस समय एफपीआई ने शेयरों में 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जून से एफपीआई लगातार शुद्ध लिवाल बने हुए हैं। अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये निकाले थे। कुल मिलाकर इस साल जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कई वजहों ने भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई के प्रवाह में उछाल आया है। इसमें एक प्रमुख वजह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती का चक्र शुरू करना है। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में अबतक एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के माध्यम से 8,543 करोड़ रुपये और पूर्ण रूप से सुलभ मार्ग (एफआरआर) के माध्यम से 22,023 करोड़ रुपये डाले हैं।