नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार को अगर देसी निवेशकों का सहारा नहीं मिला होता है तो एक बार फिर स्टॉक मार्केट में मार्च 2020 जैसे हालात बन गए होते। सेंसेक्स टूटकर 25,000 और निफ्टी 8,000 के करीब पहुंच गया होता है। ऐसा विदेशी निवेशकों की जबरदस्त बिकवाली से होता है। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर, 2021 से लेकर अब तक करीब 12 अरब डॉलर रुपये निकाले हैं। वहीं, सिपर्फ मार्च में अबतक 45,608 करोड़ रुपये की निकासी की है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारतीय बाजारों से निकासी का सिलसिला लगातार छठे महीने जारी है। ऐसे में अगर घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी बाजार में नहीं बढ़ी होती है सेंसेक्स 55,000 हजार और निफ्टी 16,500 के पार रुका नहीं होता है। साल 2021 में और अब 2022 के तीन महीनों में विदेशी निवेशकों के बिकवाली से अधिक घरेलू निवेशकों ने खरीदारी की है। इससे बाजार क्रैश होने से बचा हुआ है।
लगातार छह महीने से जबरदस्त निकासी
अजियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई मान रहे हैं कि जिंस कीमतों में तेजी से भारत अधिक प्रभावित होगा। इसकी वजह यह है कि भारत कच्चे तेल का प्रमुख आयातक है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने दो से 11 मार्च के दौरान शेयरों से 41,168 करोड़ रुपये निकाले हैं। इसके अलावा उन्होंने ऋण या बांड बाजार से 4,431 करोड़ रुपये तथा हाइब्रिड माध्यमों से नौ करोड़ रुपये की निकासी की है। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 45,608 करोड़ रुपये रही है। यह लगातार छठा महीना है जबकि एफपीआई भारतीय बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं।
इन सेक्टर में सबसे अधिक बिकवाली
विजयकुमार ने कहा कि मुख्य रूप से एफपीआई वित्तीय और आईटी कंपनियों के शेयर बेच रहे हैं। इसकी वजह है कि एफपीआई के पोर्टफोलियो में सबसे अधिक इन्हीं शेयरों की हिस्सेदारी है। वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी (सूचीबद्ध निवेश) निमिष शाह ने कहा कि अगस्त-सितंबर, 2021 से डॉलर मजबूत हो रहा है। अमेरिका में ब्याज दरें भी अब बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव की वजह से भी उनकी निकासी बढ़ी है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि मार्च में अबतक थाइलैंड को छोड़कर अन्य सभी उभरते बाजारों से निकासी हुई है। ताइवान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और फिलिपीन से इस महीने अबतक क्रमश: 708.9 करोड़ डॉलर, 266.5 करोड़ डॉलर, 42.6 करोड़ डॉलर और 2.6 करोड़ डॉलर की निकासी हुई है। वहीं इस दौरान थाइलैंड के बाजारों में एफपीआई ने 10.2 करोड़ डॉलर डाले हैं।
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