क्रायोजेनिक टैंक बनाने वाली कंपनी आइनॉक्स इंडिया लिमिटेड ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये धन जुटाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास दस्तावेजों का मसौदा (ड्राफ्ट पेपर) जमा कराया है। कंपनी द्वारा दाखिल दस्तावेजों के मसौदे (डीआरएचपी) के अनुसार, आईपीओ पूरी तरह कंपनी के मौजूदा प्रवर्तकों और शेयरधारकों की ओर से बिक्री पेशकश (ओएफएस) के रूप में होगा। आईपीओ के तहत 2.21 करोड़ शेयर बिक्री के लिए रखे जाएंगे। ओएफएस के तहत शेयरों की पेशकश करने वालों में सिद्धार्थ जैन, पवन कुमार जैन, नयनतारा जैन, इशिता जैन और मंजू जैन शामिल हैं।
कंपनी को कोई आय प्राप्त नहीं होगी
चूंकि यह निर्गम पूरी तरह से ओएफएस पर आधारित है, ऐसे में वडोदरा की कंपनी को कोई आय प्राप्त नहीं होगी और सारी राशि बिक्री के लिए शेयर रखने वाले शेयरधारकों के पास जाएगी। आइनॉक्स इंडिया देश की प्रमुख क्रायोजेनिक टैंक विनिर्माताओं में से है। इसके पास क्रायोजेनिक के लिए डिजाइन, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और स्थापना से संबंधित समाधान उपलब्ध कराने का 30 साल से अधिक का अनुभव है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एक्सिस कैपिटल इस निर्गम के लिए बुक-रनिंग लीड प्रबंधक होंगी।
क्या होता है क्रायोजेनिक टैंक?
आपको बता दें कि क्रायोजेनिक टैंक ऐसा टैंक होता है, जिसमें बहुत अधिक ठंडे लिक्विड रखे जाते हैं, जैसे लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन आदि। इसका बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल इस्तेमाल है। लिक्विड ऑक्सीजन बहुत ही अधिक ठंडी होती है। यह -185 डिग्री के करीब होता है जो ऑक्सीजन के उबलने का स्तर होता है। क्रायोजेकिन टैंक में उन गैसों को रखा जाता है, जो बहुत ठंडे होते हैं और जिनका उबलने का स्तर -90 से अधिक होता है। क्रायोजेनिक टैंक की बनावट ऊपर से दिखने में आम टैंक जैसा ही होता है लेकिन अंतरिक बनावट बहुत ही अलग होता है। यह वैक्यूम बॉटल के सिद्धांत पर बनाया जाता है। क्रायोजेनिक टैंक में दो मजबूत तगड़ी परतें होती हैं। दोनों परतों के बीच में से हवा को निकाल दिया जाता है, जिससे वैक्यूम बन जाता है। इससे बाहर की गर्मी का गैस के तापमान पर कोई असर नहीं होता है।
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