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Hindi News पैसा बाजार Adani Green पर खरीदारी की राय, इस ब्रोकरेज हाउस ने टारगेट प्राइस बढ़ाकर 2550 रुपये किया

Adani Green पर खरीदारी की राय, इस ब्रोकरेज हाउस ने टारगेट प्राइस बढ़ाकर 2550 रुपये किया

एमके के मुताबिक, वित्त वर्ष 24-30 के बीच अदाणी ग्रीन का ऑपरेटिंग मुनाफा और शुद्ध मुनाफा 38 प्रतिशत और 61 प्रतिशत के सीएजीआर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ सकता है।

Adani Green Energy- India TV Paisa Image Source : FILE अदाणी ग्रीन एनर्जी

ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने अदाणी ग्रीन एनर्जी पर खरीदारी की राय दी है। ब्रोकरेज हाउस ने कहा है कि अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी आने वाले समय में अतिरिक्त पावर परचेज एग्रीमेंट हासिल कर सकती है। इसका असर कंपनी की लागत पर होगा और वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने शेयर की कवरेज शुरू करते हुए सोमवार को अपनी रिपोर्ट में ये बात कही। ब्रोकरेज हाउस ने अपनी रिपोर्ट में अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयर का टारगेट प्राइस 2,550 रुपये निर्धारित किया है, जो कि मौजूदा भाव से 50 प्रतिशत ज्यादा है।

मुनाफा 38 प्रतिशत बढ़ा

एमके के मुताबिक, वित्त वर्ष 24-30 के बीच अदाणी ग्रीन का ऑपरेटिंग मुनाफा और शुद्ध मुनाफा 38 प्रतिशत और 61 प्रतिशत के सीएजीआर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अदाणी ग्रीन एनर्जी की ओर से गुजरात और राजस्थान में 50 गीगावाट सोलर और विंड एनर्जी क्षमता विकसित करने की साइट्स का अधिग्रहण कर लिया गया है। इन साइट्स का यील्ड वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा है। केंद्रित विकास कंपनी के कैपेसिटी यूटिलाइजेशन फैक्टर को अच्छा कर सकता है। ब्रोकरेज हाउस ने आगे कहा कि पिछले पांच वर्षों में अदाणी ग्रीन एनर्जी की ऊर्जा उत्पादन क्षमता 41 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ी है। हमें उम्मीद है कि 2024-30 के बीच यह 30 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ सकती है।

रिन्यूएबल क्षमता तेजी से बढ़ रहा 

वहीं, आने वाले वर्षों में कंपनी का नेट-डेट टू ईबीआईटीडीए रेश्यो गिरकर 2030 तक 3.6 गुना पर आ सकता है, जो कि फिलहाल 7.4 गुना है। एमके के मुताबिक, अदाणी ग्रीन की रिन्यूएबल क्षमता वित्त वर्ष 30 तक बढ़कर 56.5 गीगावाट होने का अनुमान है। इसकी वजह 30 गीगावाट की क्षमता वाली खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क का उस समय तक पूर्ण विकसित होना है। अदाणी ग्रीन के पास पूंजी जुटाने के विविध विकल्प हैं। इसमें बैंकों द्वारा दी गई 3.4 अरब डॉलर की रिवॉल्विंग कंस्ट्रक्शन फैसिलिटी और साथ ही लंबी अवधि के बॉन्ड मार्केट तक पहुंच शामिल है।

इनपुट: आईएएनएस

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