A
Hindi News पैसा बाजार BSE और NSE ने अपने लेनदेन शुल्कों में किया बदलाव, 1 अक्टूबर से लागू होंगे नये रेट, जानिए डिटेल

BSE और NSE ने अपने लेनदेन शुल्कों में किया बदलाव, 1 अक्टूबर से लागू होंगे नये रेट, जानिए डिटेल

BSE ने इक्विटी F&O सेगमेंट में सेंसेक्स और बैंकेक्स विकल्प अनुबंधों के लिए लेनदेन शुल्क को संशोधित कर 3,250 रुपये प्रति करोड़ प्रीमियम कारोबार कर दिया है।

ट्रांजेक्शन चार्जेज- India TV Paisa Image Source : FILE ट्रांजेक्शन चार्जेज

देश के प्रमुख शेयर बाजारों बीएसई और एनएसई ने शुक्रवार को नकद और वायदा एवं विकल्प (F&O) सौदों के लिए अपने लेनदेन शुल्क में संशोधन किये हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा शेयर बाजार समेत मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े संस्थानों के सभी सदस्यों के लिए एक समान शुल्क संरचना अनिवार्य करने के बाद यह कदम उठाया गया। शेयर बाजारों ने अलग-अलग सर्कुलर्स में कहा कि संशोधित दरें एक अक्टूबर से लागू होंगी। बीएसई ने इक्विटी वायदा-विकल्प सेगमेंट में सेंसेक्स और बैंकेक्स विकल्प अनुबंधों के लिए लेनदेन शुल्क को संशोधित कर 3,250 रुपये प्रति करोड़ प्रीमियम कारोबार कर दिया है। हालांकि, इक्विटी वायदा-विकल्प सेगमेंट में अन्य अनुबंधों के लिए लेनदेन शुल्क अपरिवर्तित रहेगा।

सेबी ने जारी किया था सर्कुलर

सेबी ने जुलाई में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) के शुल्कों के बारे में एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें कहा गया है कि एमआईआई के पास सभी सदस्यों के लिए एक समान शुल्क संरचना होनी चाहिए, जो मौजूदा कारोबार की वॉल्यूम आधारित प्रणाली की जगह लेगी। बता दें कि बजट 2024 ने फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) पर सिक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) को क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत बढ़ा दिया है। साथ ही शेयर बायबैक से प्राप्त आय लाभार्थियों के लिए कर योग्य होगी। यह बदलाव 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी हो जाएगा। हालांकि, ट्रेड्स पर टैक्स दोगुना होने से लेनदेन का वॉल्यूम कम हो सकता है। दूसरी ओर, उच्च टैक्स निवेशकों की लाभ सीमा भी बढ़ाएंगे, जिससे संभावित रूप से उन्हें अधिक जोखिम लेने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

क्यों उठाए गये ये कदम?

निवेशकों के हितों की रक्षा करने और स्टॉक मार्केट में सट्टेबाजी को कम करने के लिए सेबी ने ये कदम उठाए हैं। सेबी का कहना है कि साल 2024 में लगभग 91 फीसदी F&O ट्रेडर्स ने जोखिम भरे ट्रेड्स में कुल ₹75,000 करोड़ का नुकसान उठाया है। इसके अलावा, लिक्विडिटी की बाढ़ और खुदरा निवेशकों का उत्साह दुनिया के सबसे महंगे इक्विटी मार्केट के लिए घातक संयोजन बन रहा है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स इन बदलावों को देश में एक स्थायी निवेश परिदृश्य के साथ-साथ पूंजी बाजार के संतुलित और व्यवस्थित विकास के लिए आवश्यक मानते हैं।

Latest Business News