IPO में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए बड़ी खबर, SEBI नियमों में करने जा रहा ये बड़ा बदलाव
शेयर बाजारों के SME प्लेटफॉर्म को साल 2012 में शुरू किया गया था। तब से, SME इश्यू की संख्या में वृद्धि हुई है और साथ ही ऐसे प्रस्तावों में निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ी है।
भारतीय बाजार (Stock Market) रिकॉर्ड हाई पर ट्रेड कर रहे हैं। इसका फायदा उठाने के लिए छोटी से बड़ी कंपनियां धराधर IPO लेकर आ रही है। निवेशक भी आईपीओ से लिस्टिंग गेन लेने के लिए पैसा लगाने से चूक नहीं रहे हैं। हालांकि, इस अंधी दौड़ में कई कंपनियां और प्रमोटर निवेशकों को चूना भी लगा रहे हैं। इससे निवेशकों को नुकसान हो रहा है। अब सेबी की नजर इस तरह के आइपीओ पर पड़ी है। इसके बाद सेबी ने नियम सख्त करने का फैसला लिया है। इसका फायदा देश के करोड़ों छोटे निवेशकों को होगा। वहीं, कंपनियां गलत तरीके से मार्केट से पैसा उगाही नहीं कर पाएंगी।
नियमों को कड़ा करने की तैयारी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने शुक्रवार को कहा कि पूंजी बाजार नियामक एसएमई आईपीओ की निगरानी करने वाले नियमों को कड़ा करेगा। यह टिप्पणी सेबी द्वारा निवेशकों को कई लघु एवं मझोले उद्यमों (SME) के भ्रामक कारोबारी अनुमानों के बारे में आगाह करने के कुछ दिन बाद आई है। भाटिया ने बताया कि इस वर्ष के अंत से पहले इस पहलू पर एक परिचर्चा पत्र लाने की योजना है। भाटिया ने कहा कि इन बदलावों में बेहतर निगरानी और लेखा परीक्षकों के मोर्चे पर कड़ी जांच शामिल हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) अपना काम लगन से करें तो समस्याओं से बचा जा सकता है। भाटिया ने कहा कि प्राथमिक निर्गम वित्त वर्ष के पहले पांच माह में ही दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं, जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 1.97 लाख करोड़ रुपये का था।
निवेशकों को अगाह किया
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने निवेशकों को ऐसी छोटी एवं मझोली कंपनियों (SME) के शेयरों में अपना पैसा लगाने के खिलाफ आगाह किया, जो अपने परिचालन की झूठी तस्वीर पेश करके शेयर प्राइस में हेरफेर करती हैं। सेबी ने बयान में कहा कि यह बात संज्ञान में आई है कि लिस्टिंग के बाद कुछ एसएमई कंपनियां या उनके प्रमोटर्स ऐसी सार्वजनिक घोषणाएं कर रहे हैं, जिनसे उनके परिचालन की सकारात्मक छवि बनती है। ऐसी घोषणाओं के बाद बोनस निर्गम, शेयर विभाजन और तरजीही आवंटन जैसी विभिन्न कॉरपोरेट कार्रवाइयां की जाती हैं। हाल ही में सेबी ने ऐसी इकाइयों के खिलाफ आदेश पारित किए हैं। यह देखा जा सकता है कि इन इकाइयों की कार्यप्रणाली मोटे तौर पर ऊपर बताए गए तरीकों जैसी ही है। उभरती कंपनियों के लिए धन जुटाने के वैकल्पिक स्रोत के रूप में काम करने के लिए
शेयर बाजारों के एसएमई प्लेटफॉर्म को साल 2012 में शुरू किया गया था। तब से, एसएमई इश्यू की संख्या में वृद्धि हुई है और साथ ही ऐसे प्रस्तावों में निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ी है। पिछले दशक के दौरान इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से 14,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए हैं, जिनमें से लगभग 6,000 करोड़ रुपये सिर्फ पिछले वित्त वर्ष (2023-24) के दौरान जुटाए गए।