SEBI ने निवेशकों के हित की हिफाजत के लिए बड़ा कदम उठाया है। उसके तरफ से जारी सर्कुलर में इस बात की जानकारी दी गई है। उसमें इस नए नियम को अगले साल 31 मार्च के दिन लागू करने की बात कही गई है। बता दें, इस चार पेज के सर्कुलर में सेबी ने ब्रोकर को शेयर बेचने से पहले कुछ नियम फॉलो करने को कहा है।
क्या है सर्कुलर में?
नए नियम में कहा गया है कि ब्रोकर को शेयर बेचने से पहले क्लाइंट को इस बात की जानकारी देनी होगी कि पेमेंट नहीं होने से ऑटो प्लेज हुआ है। अगर पेमेंट सक्सेस नहीं होता है तो ब्रोकर क्लाइंट के शेयर को बेच सकेगा, लेकिन अनपेड शेयर की बिक्री से पहले क्लाइंट को बताना अनिवार्य होगा।
इस नए सर्कुलर के मुताबिक, शेयर की बिक्री से होने वाले फायदे और नुकसान क्लाइंट के खाते में एडजस्ट होंगे। पे-आउट के सात दिन में रिलीज नहीं तो शेयर फ्री माना जाएगा। बता दें, ऐसे शेयर मार्जिन के लिए इस्तेमाल नहीं किए जाएंगे।
15 अप्रैल तक खत्म करने का आदेश
15 अप्रैल तक मौजूदा अनपेड क्लाइंट सिक्योरिटीज को खत्म करने का आदेश दिया गया है। कहा गया है कि शेयर या तो क्लाइंट के खाते में वापस किए जाए या फिर उसे बाजार में बेच दिया जाना चाहिए। अगर आप शेयर की खरीद-बिक्री नहीं करते हैं तो उसे फ्रीज कर दिया जाएगा।
क्या होता है अनपेड शेयर?
आम तौर पर जब शेयर जारी किए जाते हैं, तो उनका भुगतान शेयरधारक द्वारा किया जाता है। लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जहाँ किसी शेयर पर कोई पैसा नहीं दिया जाता है या देय राशि का केवल एक अंश का भुगतान किया जाता है। यानि जहां एक शेयरधारक आंशिक रूप से भुगतान किए गए शेयर रखता है, वे अभी भी उन शेयरों से जुड़े सभी अधिकारों को बरकरार रखते हैं जो वे पूरी तरह से भुगतान किए जाने पर करेंगे। आसान भाषा में कहें तो उन शेयरों पर आपका अधिकार हो जाता है और पूरा पेमेंट किए जाने तक वो फ्रीज रहता है। जैसे ही आप पेमेंट करते हैं उसका मालिकाना हक आपको मिल जाता है।
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