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Hindi News पैसा बाजार RBI पॉलिसी से पहले लुढ़के शेयर बाजार, सेंसेक्स 104 अंक गिरकर 28335 पर और निफ्टी 33 अंक गिरकर 8768 पर बंद

RBI पॉलिसी से पहले लुढ़के शेयर बाजार, सेंसेक्स 104 अंक गिरकर 28335 पर और निफ्टी 33 अंक गिरकर 8768 पर बंद

BSE का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 104 अंक गिरकर 28335 पर और NSE का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 33 अंक गिरकर 8768 पर बंद।

RBI पॉलिसी से पहले लुढ़के शेयर बाजार, सेंसेक्स 104 अंक गिरकर 28335 पर और निफ्टी 33 अंक गिरकर 8768 पर बंद- India TV Paisa RBI पॉलिसी से पहले लुढ़के शेयर बाजार, सेंसेक्स 104 अंक गिरकर 28335 पर और निफ्टी 33 अंक गिरकर 8768 पर बंद

नई दिल्ली। RBI की बैठक का ब्याज दरों पर फैसला आने से पहले मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार पर दबाव देखने को मिला। BSE का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 104 अंक गिरकर 28335 पर और NSE का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 33 अंक गिरकर 8768 पर बंद।

PSU बैंकिंग को छोड़ सभी सेक्टर इंडेक्स गिरकर बंद

  • NSE पर फार्मा, मेटल, ऑटो, रियल्टी इंडेक्स 1.25 फीसदी तक की गिरावट के साथ बंद हुए है।
  • जबकि, PSU बैंकिंग इंडेक्स 0.53 फीसदी बढ़कर 3,450 के स्तर पर बंद हुआ है।

दिग्गज शेयरों का हाल

  • निफ्टी के 50 में से 36 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए है।
  • वहीं, 14 शेयर तेजी के साथ बंद हुए है।
  • पांच सबसे ज्यादा तेजी वाले शेयरों में BHEL, BPCL, L&T, इन्फोसिस और बैंक ऑफ बड़ौदा है।
  • इन सभी शेयरों में 1-5 फीसदी तक बढ़कर बंद हुए है।
  • वहीं, ल्यूपिन, हिंडाल्को, कोल इंडिया, टाटा मोटर्स डीवीआर और टाटा मोटर्स 2-3.5 फीसदी तक गिरकर बंद हुए है।

निफ्टी के लिए क्या है अहम स्तर

  • जेएम फाइनेंशियल के गौतम शाह कहते है कि 8900 के आसपास जब बाजार में करेक्शन का दौर शुरू होगा तब निफ्टी में 8650 तक का स्तर मुमकिन लग रहा है।
  • हालांकि, तेज गिरावट हावी हुई तो निफ्टी 8550 तक भी जाने की आशंका है। लेकिन, 8550-8650 के आसपास बाजार में फिर से नई पोजीशन बनाने का अच्छा मौका होगा। मध्यम अवधि में निफ्टी के 9500-9700 तक जाने के आसार हैं।

अब आगे क्या 

जूलियस बेयर में एशिया के हेड ऑफ रिसर्च, मार्क मैथ्यूज एक बिजनेस चैनल को दिए इंटरव्यु में कहा है कि भारत में खपत बढ़ रही है। हालांकि निवेश और शेयर बाजार की ग्रोथ के लिए विदेशी निवेश बढ़ना जरूरी है। पिछले 5 साल में भारत में निजी निवेश काफी कम रहा है। लिहाजा जब तक अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले भारतीय कंपनियों की ग्रोथ अच्छी नहीं रहती तब तक घरेलू बाजारों में एफआईआई का पैसा आना मुश्किल है।

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