नई दिल्ली। भारतीय करेंसी रुपए में एक बार फिर से भारी गिरावट देखी जा रही है, डॉलर का भाव फिर से 68 रुपए के पार हो गया है, फिलहाल प्रति डॉलर रुपए 68.02 के स्तर पर कारोबार कर रहा है और इसमें करीब 40 पैसे की भारी गिरावट देखी जा रही है। डॉलर में आई इस तेजी के पीछे अमेरिका में बढ़ी हुई ब्याज दरों को वजह माना जा रहा है।
इस वजह से टूटा रुपया
अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने इस हफ्ते ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद अमेरिकी करेंसी डॉलर में एकतरफा मजबूती देखी जा रही है, डॉलर इंडेक्स बढ़कर 95.10 के स्तर तक पहुंच गया है जो 7 महीने में सबसे ऊपरी स्तर है। डॉलर की मजबूती की वजह से ही भारतीय करेंसी रुपए पर दबाव देखा जा रहा है।
कमजोर रुपए से नुकसान
रुपए में आई इस गिरावट के मौजूदा हालात में फायदे कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहे हैं। रुपए की मजबूती से ऑयल कंपनियों की कच्चा तेल आयात करने में लागत बढ़ेगी जिससे देश में पेट्रोल और डीजल के एक बार फिर से महंगा होने की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा विदेशों से आयात होने वाले अन्य सामान जैसे मोबाइल फोन, टेलिविजन और इलेक्ट्रोनिक्स के अन्य सामान को आयात करने की लागत भी बढ़ेगी, ऐसे में इस तरह की तमाम वस्तुओं के महंगा होने की आशंका है।
रुपए की गिरावट से फायदा भी
रुपए की गिरावट से कुछ फायदे भी है, देश के बाहर निर्यात होने वाली वस्तुओं को प्रत्साहन मिलेगा, भारत से ज्यादातर इंजिनीयरिंग गुड्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम प्रोडक्ट और टैक्सटाइल का निर्यात होता है, ऐसे में इन सेक्टर से जुड़े तमाम उद्योगों को रुपये की कमजोरी से फायदा पहुंचेगा।
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