5 Reasons – 18 साल की सबसे लंबी गिरावट के बाद भी Gold क्यों नहीं निवेश के लिए बेहतर
गुरुवार को ग्लोबल मार्केट में Gold की कीमतें दो हफ्ते के निचले स्तर 1112 डॉलर प्रति औंस पर आ गईं। Gold की कीमतों में गिरावट का यह दौर थमता नहीं दिख रहा है।
नई दिल्ली। गुरुवार को ग्लोबल मार्केट में Gold की कीमतें दो हफ्ते के निचले स्तर 1112 डॉलर प्रति औंस पर आ गईं। Gold की कीमतों में गिरावट का यह दौर थमता नहीं दिख रहा है। गिरावट कितना गहरी है इस बात का अंदाजा आप इस तरह लगा सकते हैं कि 1997 के बाद पहली बार लगातार पांच तिमाहियों तक सोने ने गिरावट दर्ज की गई है। जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान Gold की कीमतों में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, जो पिछले एक साल की सबसे बड़ी गिरावट है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस लंबी गिरावट के बाद भी बाजार के जानकार सोने में खरीदारी की सलाह नहीं दे रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल के अंत तक सोने की कीमतें 25,000 रुपए प्रति 10 पर आ सकती हैं।
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया के मुताबिक सोने की कीमतों में गिरावट का यह दौर आने वाले दिनों में जारी रह सकता है। यह गिरावट घरेलू बाजार में सोने को साल के अंत तक 25000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर तक ले जा सकती है। ऐसे में निवेशकों को फिलहाल निवेश से बचना चाहिए।
ये हैं सोने में गिरावट जारी रहने के पांच बड़े कारण
- रुपए में मजबूती लौटने की उम्मीद
केडिया के मुताबिक आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती लौटेगी। मौजूदा समय में डॉलर के मुकाबले रुपया 67 के बेहद करीब पहुंच चुका है। वहीं सेंट्रल बैंक आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है। इसके बाद डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती लौट सकती है। जो सोने के लिए नकारात्मक खबर होगी।
- सोने पर लगने वाले इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि साल के अंत तक सोने पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में सरकार कटौती कर सकती है। क्रूड की कीमतों में आई गिरावट के कारण करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) का बोझ कम हो गया है। इसको देखते हुए सरकार इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती का फैसला ले सकती है। दरअसल सीएडी बढ़ने के कारण सरकार ने सोने के इंपोर्ट पर 10 फीसदी ड्यूटी लगा दी थी। ज्यादा ड्यूटी होने की वजह से घरेलू ज्वैलरी उद्योग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में अगर ड्यूटी घटती है तो सोने का इंपोर्ट सस्ता हो जाएगा और कीमतों में नरमी देखने को मिलेगी।
- सोना से बेहतर रिटर्न मिले शेयर बाजार में
ट्रस्टलाइन के रिसर्च हेड राजीव कपूर ने इंडियाटीवी पैसा से खास बातचीत में बताया कि सोना पिछले दो वर्षों से निगेटिव रिटर्न दे रहा है। इस साल भी सोने से किसी खास रिटर्न की उम्मीद नहीं है। जबकि इसके सापेक्ष शेयर मार्केट ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए हैं। यह ट्रेंड आने वाले समय में भी जारी रहने की उम्मीद है। ऐसे में मौजूदा समय में निवेशकों को सोने में निवेश से बचना चाहिए।
- कमजोर मानसून से घटेगी सोने की मांग
ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (साउथ रीजन) के हेड अनंत पद्मनाभन ने कहा कि लगातार यह दूसरा साल है जब देश में सूखे जैसा माहौल है। पिछले साल सामान्य के मुकाबले 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। वहीं इस साल 14 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों से ज्वैलरी की डिमांड घटने की आशंका है। देश में सालाना सोने की कुल डिमांड में 60 फीसदी हिस्सेदारी ग्रामीण क्षेत्र की है। मांग घटने का सोने की कीमतों पर पड़ेगा।
- अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ना तय
अमेरिकी सेंट्रल बैंक के चेयरमैन जेनेट येलेन ने हाल में ही कहा कि अमेरिका में ब्याज दरें साल के अंत तक बढ़ाई जा सकती है। येलेन के अनुसार अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेजी से उभर रहा है। ऐसे में ब्याज दरें बढ़ाने का यह सही समय है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना के कारण सोने सोने की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। दरअसल ब्याज दरें बढ़ने की संभावना से प्रमुख करंसी के मुकाबले डॉलर इंडेक्स 96 के पार पहुंच गया है। इसके कारण कॉमैक्स पर सोना फिसलकर 1112 डॉलर प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है। ब्याज दरें बढ़ने के बाद सोने में गिरावट का नया दौर शुरू हो सकता है। जिसका असर निश्चित तौर पर घरेलू बाजार पर भी देखने को मिलेगा।