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Hindi News पैसा बाजार शेयर बाजार की सुस्त शुरुआत, सेंसेक्स 8 और निफ्टी 4 अंक नीचे, इन स्मॉलकैप शेयरों में 12% का बड़ा उछाल

शेयर बाजार की सुस्त शुरुआत, सेंसेक्स 8 और निफ्टी 4 अंक नीचे, इन स्मॉलकैप शेयरों में 12% का बड़ा उछाल

मेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर फैसला आने से पहले घरेलू शेयर बाजार की शुरुआत हल्की गिरावट के साथ हुई है। सेंसेक्स 8, निफ्टी 4 अंक नीचे है।

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नई दिल्ली। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर फैसला आने से पहले ग्लोबल मार्केट समेत घरेलू शेयर बाजार की शुरुआत भी हल्की गिरावट के साथ हुई है। दोनों प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स मामूली गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। फिलहाल (9:20 AM) BSE का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 8 अंक गिरकर 29439 पर आ गया है। वहीं, NSE का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी  4 अंक गिरकर 9086 के स्तर पर लुढ़क गया है।

चुनिंदा स्मॉलकैप शेयरों में जोरदार तेजी

  • BSE के स्मॉलकैप इंडेक्स में शामिल सिम्फनी, जेपी इंफ्रा, गुड ईयर इंडिया, आईबी वेंचर्स के शेयर 4-12 फीसदी तक उछल गए है।
  • भारत सस्ते आयात से घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए चीन से एल्यूमीनियम फॉयल के आयात पर 1.63 डॉलर प्रति किलो तक का डंपिंग रोधी शुल्क लगा सकता है। इस खबर के बाद तमिलनाडु पेट्रोलियम का शेयर 13 फीसदी उछलकर 34 रुपए के स्तर पर पहुंच गया है।

अब आगे क्या

  • क्रिसिल की इंडिया आउटलुक सीरीज रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था में मामूली रिकवरी ही देखी जाएगी। हालांकि रेटिंग एजेंसी के मुताबिक जीएसटी बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है।
  • बैंकिंग सेक्टर में एनपीए कम होंगे, कमोडिटी से जुड़े और ईपीसी सेगमेंट में मजबूती आएगी वहीं रियल एस्टेट सेक्टर छोड़कर नोटबंदी का असर खत्म होता दिखेगा।
  • क्रिसिल के मुताबिक जीएसटी इकोनॉमी के लिए गेमचेंजर साबित होगा, जीएसटी से लॉजिस्टिक सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा। वित्त वर्ष 2018 में टेलीकॉम, सीमेंट सेक्टर में कंसोलिडेशन की उम्मीद है।

क्रिसिल रिसर्च के सीनियर डायरेक्टर प्रसाद कोपरकर ने कहा कि

वित्त वर्ष 2018 में इकोनॉमी में हल्की रिकवरी की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2018 में कंपनियों की ग्रोथ की रफ्तार बढ़ेगी, रेवेन्यू ग्रोथ 5 साल की ऊंचाई पर रह सकता है लेकिन कमोडिटी कीमतें बढ़ने से मार्जिन दायरे में रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि ब्याज दरें गिरने से निवेश रफ्तार पकड़ेगा लेकिन प्राइवेट इन्वेस्टमेंट सुस्त रहने की आशंका है।

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