नई दिल्ली। दुनियाभर में कच्चे तेल का भाव उस स्तर तक आ गया है जिस स्तर पर इसे शायद ही कभी देखा गया हो। नायमेक्स पर कच्चे तेल का भाव घटकर निगेटिव जोन में आ गया है, आसान भाषा में कहें तो कच्चा तेल खरीदने के लिए पैसे नहीं देने पड़ रहे बल्कि उल्टे कच्चे तेल के साथ पैसे मिल रहे हैं। हालांकि जिस हालात में कच्चे तेल का बाजार चल रहा है उस हालात में इस तरह का कोई सौदा होना नामुंकिन है।
सोमवार रात को नायमेक्स पर मई वायदा के लिए कच्चे तेल की कीमतों ने निगेटिव 35 डॉलर का निचला स्तर छुआ है, आसान भाषा में इस भाव को देखें तो हर एक ड्रम (बैरल) कच्चे तेल को खरीदने के लिए पैसे देने के बजाय उल्टे 35 डॉलर मिल रहे हैं और साथ में कच्चा तेल भी मिल रहा है। दुनिया में शायद ही कभी कच्चे तेल का भाव इस स्तर पर देखा गया होगा। करीब 12 साल पहले यानि जुलाई 2008 में जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छाई थी तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 147 डॉलर प्रति बैरल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर गया था।
जानकार मान रहे हैं कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से कच्चे तेल की मांग में भारी कमी आई है, लेकिन मांग इतनी भी कम नहीं हुई है कि कच्चे तेल का भाव 1 सेंट प्रति बैरल तक लुढ़क जाए। एंजल कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की मांग में करीब 50 प्रतिशत गिरावट देखने को मिली है और भारत में मांग लगभग 60 प्रतिशत कम हुई है। लेकिन जिस रफ्तार से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट उसका इस घटी हुई मांग से कोई लेना-देना नहीं है।
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