नई दिल्ली। छोटी कंपनियों के स्टॉक्स के लिए सेबी की तरफ से बड़ी खबर आई है। सेबी ने म्युचुअल फंड स्कीम को लेकर नए नियम जारी किए हैं, जिनके मुताबिक मल्टी कैप फंड्स को अब स्मॉल कैप कंपनियों की इक्विटी या इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में कुल एसेट्स का कम से कम 25 फीसदी हिस्सा निवेश करना होगा। सेबी ने आज ये नियम जारी कर दिए हैं। सेबी के मुताबिक मल्टी कैप फंड्स की योजनाओं में सभी स्तर की कंपनियों की भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए ये फैसला लिया गया है। फंड्स को नियमों का पालन जनवरी 2021 तक करना होगा।
नए नियमों के मुताबिक सेबी ने इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में फंड्स के कुल एसेट्स 75 फीसदी हिस्से के निवेश की सीमाएं तय कर दी है। शेष 25 फीसदी हिस्सा फंड्स अपने हिसाब से निवेश कर सकते हैं। नियम के मुताबिक कुल एसेट्स का कम से कम 25 फीसदी हिस्सा लार्ज कैप कंपनियों में, 25 फीसदी हिस्सा मिडकैप कंपनियों में और बाकी 25 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश करना होगा। फैसले से बेहतर भविष्य वाली स्मॉलकैप कंपनियों को फायदा होगा, क्योंकि फंड्स ऐसी कंपनियों के स्टॉक्स में अपना निवेश बढ़ाएंगे।
शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों को उनके बाजार मूल्य के आधार पर 3 वर्गों में बांटा जाता है। सबसे बड़ी कंपनियां लार्ज कैप कंपनियां होती है आम तौर पर 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के मार्केट कैप वाली कंपनियां इस कैटेगरी में आती हैं। वहीं दूसरी तरफ करीब 7000 हजार करोड़ के मार्केट कैप से नीचे की कंपनियां स्मॉलकैप कंपनियों की कैटेगरी में आती है। ये कंपनियां बाजार की सबसे छोटी कंपनियां होती। छोटी कंपनियां होने की वजह से इनके स्टॉक्स में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। उम्मीद है कि नए नियमों से छोटी कंपनियों में निवेश बढ़ेगा और उनकी कीमतों में स्थिरता देखने को मिलेगी, वहीं अन्य निवेशक भी इन कंपनियो में अपना निवेश बढ़ाएंगे।
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