बाजार में तीन दिन से जारी तेजी पर लगा ब्रेक, मुनाफा वसूली के कारण सेंसेक्स 248 अंक गिरा
बंबई शेयर बाजार का तीस शेयरों वाला सूचकांक 247.68 अंक यानी 0.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 39,502.05 अंक पर बंद हुआ।
मुंबई। शेयर बाजार में पिछले तीन दिनों से जारी तेजी पर बुधवार को विराम लग गया और बीएसई सेंसेक्स 248 अंक टूटकर बंद हुआ। मंदी की आशंका से वैश्विक बाजारों में गिरावट के बीच निवेशकों ने घरेलू बाजार में भी बिकवाली की।
बंबई शेयर बाजार का तीस शेयरों वाला सूचकांक 247.68 अंक यानी 0.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 39,502.05 अंक पर बंद हुआ। वहीं एनएसई निफ्टी 67.65 अंक अर्थात 0.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 11,861.10 अंक पर बंद हुआ।
कारोबारियों के अनुसार हाल में तेजी के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली की और बैंक, धातु तथा वाहन कंपनियों के शेयरों में बिकवाली की। दस साल के अमेरिकी बांड पर रिटर्न तीन महीने की दर से नीचे चले जाने के बाद वैश्विक स्तर पर जोखिम को लेकर धारणा नीचे आ गयी। बांड रिटर्न में गिरावट को मंदी का एक प्रमुख संकेतक माना जा रहा है। कारोबारियों ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता पर कोई खास प्रगति नहीं होने से भी वैश्विक बाजारों पर प्रभाव पड़ा है।
सेंसेक्स के शेयरों में सर्वाधिक नुकसान में एसबीआई रहा। इसमें 3.29 प्रतिशत की गिरावट रही। उसके बाद टाटा स्टील, आईसीआईसीआई बैंक तथा मारुति का स्थान रहा जो 2.76 प्रतिशत तक नीचे आया।
दूसरी तरफ सन फार्मा, टीसीएस, एचसीएल टेक तथा एचयूएल सर्वाधिक लाभ में रहे। इनमें 2.41 प्रतिशत तक की तेजी रही।
सैंकटम वेल्थ मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी सुनील शर्मा ने कहा कि बांड में तेजी के साथ वैश्विक बाजारों में शेयरों में गिरावट जारी रही। यह संकेत है कि निवेशक शेयर बाजारों को लेकर सतर्क हैं। निवेशक वैश्विक वृद्धि पर व्यापार युद्ध के नतीजे को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा कि दस वर्षीय भारतीय बांड का रिटर्न दो सप्ताह पहले 7.4 प्रतिशत से कम होकर 7.1 प्रतिशत पर आ गया है। निवेशक जून के पहले सप्ताह में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती को मानकर आगे चल रहे हैं। अमेरिकी तथा भारतीय बांड पर रिटर्न कम होने से कुछ पूंजी के बाहर निकलने से इनकार नहीं किया जा सकता।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक के बयान के बाद वैश्विक बाजारों में गिरावट रही। सेंट्रल बैंक ने कहा कि व्यापार तनाव यूरो क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता के लिये सबसे बड़ा जोखिम है। एशिया के अन्य बाजारों में गिरावट दर्ज की गयी। वहीं शुरूआती कारोबार में यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में भी तीव्र गिरावट रही।