नई दिल्ली। घरेलू पूंजी बाजारों में अप्रैल के अंत तक पार्टिसिपेटरी नोट्स यानि पी-नोट्स के जरिये निवेश बढ़कर 57,100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पिछले महीने यह 15 साल के निचले स्तर पर आ गया था। पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानि FPI द्वारा ऐसे विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो सीधे अपना पंजीकरण कराए बिना भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं। हालांकि, उन्हें पूरी जांच-परख की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड यानि सेबी के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के अंत तक भारतीय बाजारों. शेयर, बांड, हाइब्रिड प्रतिभूतियों और डेरिवेटिव्स में पी-नोट्स के जरिये निवेश 57,100 करोड़ रुपये था। मार्च के अंत तक यह आंकड़ा 48,006 करोड़ रुपये था। मार्च का निवेश अक्टूबर, 2004 से के बाद का सबसे निचला स्तर था। उस समय भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये निवेश 44,586 करोड़ रुपये था।
कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई मंदी की स्थिति के बीच व्यापक बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते मार्च में पी-नोट्स के जरिये निवेश निचले स्तर पर आ गया था। पी-नोट्स के जरिये अप्रैल तक कुल 57,100 करोड़ रुपये के निवेश में से 46,165 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में, 10,619 करोड़ रुपये बांड में, 177 करोड़ रुपये डेरिवेटिव खंड में और 139 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में हुआ था।
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