नई दिल्ली। खाने के तेल का आयात घटने की वजह से आने वाले दिनों में आपकी रसोई का बजट बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है। देश में तेल और तिलहन उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने वनस्पति तेल आयात के आंकड़े जारी किए हैं जिनके मुताबिक दिसंबर में वनस्पति तेल आयात में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 11 महीने के निचले स्तर तक लुढ़क गया है।
दिसंबर में 10% घटा इंपोर्ट
SEA के मुताबिक बीते दिसंबर के दौरान देश में कुल 10,88,783 टन वनस्पति तेल का आयात हुआ है जो जनवरी 2017 के बाद सबसे कम मासिक आयात है, इसमें 10,58,289 टन खाद्य तेल है और 30,494 टन गैर खाद्य तेल। 2016 के दिसंबर के दौरान देश में 12,09,685 टन वनस्पति तेल का आयात हुआ था जिसमें 11,74,296 टन खाद्य तेल था और 35,389 टन गैर खाद्य।
दिसंबर में वनस्पति तेल का आयात (टन में)
2017 | 2016 | अंतर% |
1088783 | 1209685 | -10 |
आयातित तेल पर है देश की निर्भरता
देश में खपत होने वाले कुल खाद्य तेल का करीब 60-65 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आयात करना पड़ता है, ऐसे में आयात में गिरावट आएगी तो घरेलू स्तर पर सप्लाई प्रभावित होगी जिससे खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है। अक्टूबर में खत्म हुए ऑयल वर्ष 2016-17 के दौरान देश में 150 लाख टन से ज्यादा खाने का तेल आयात हुआ है।
आयात शुल्क बढ़ने से घटा इंपोर्ट
दिसंबर में खाद्य तेल आयात घटने की सबसे बड़ी वजह सरकार की तरफ से आयात पर बढ़ाया गया आयात शुल्क है, केंद्र सरकार ने 17 नवंबर को खाद्य तेल पर आयात शुल्क में 12.5 प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी लागू कर दी है, सरकार का मकसद है कि आयात शुल्क बढ़ाकर घरेलू स्तर पर तिलहन के दाम को बढ़ाया जाए ताकि किसानों को उनकी फसल का अच्छा भाव मिल सके। सरकार की तरफ से इस बढ़ोतरी के बाद तिलहन के दाम तो बढ़े हैं लेकिन अब उपभोक्ताओं पर इसकी मार पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
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