नई दिल्ली। देश का सोना आयात पिछले वित्त वर्ष के 500 टन की तुलना में चालू वित्त वर्ष में 700 टन पर पहुंच जाएगा। एक शीर्ष उद्योग संगठन ने आज इसकी जानकारी दी। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष प्रवीणशंकर पांड्या ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बजट में सोने पर आयात शुल्क कम कर 4-5 प्रतिशत किया जाना चाहिए ताकि आभूषण निर्यात प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा कि मौजूदा 10 प्रतिशत की ऊंची शुल्क दर की वजह से सोने की तस्करी बढ़ी है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश में कारोबार करने में हो रही दिक्कतें तथा 10 प्रतिशत आयात शुल्क वृद्धि दर को प्रभावित कर रहा है।’’ संगठन के मुख्य कार्यकारी निदेशक सब्यसाची राय ने कहा, ‘‘हमने 2016-17 में 500 टन सोना आयात किया था। इस वित्त वर्ष में हम करीब 700 टन सोना का आयात करेंगे।’’
संगठन का कहना है कि दुबई में जनवरी 2018 से मूल्यवर्धित कर (वैट) पांच प्रतिशत किये जाने और सोने तथा हीरे के आभूषणों पर वहां आयात शुल्क की दर पांच प्रतिशत किये जाने से भारत का निर्यात प्रभावित होगा। कहा कि भारत से सालाना 7.5 अरब डॉलर के स्वर्ण आभूषणों का निर्यात होता है जिसका 50 प्रतिशत दुबई के रास्ते किया जाता है। परिषद ने उम्मीद व्यक्त की है कि चालू वित्त वर्ष में रत्न एवं आभूषण निर्यात विदेशी बाजारों के सुस्त रहने, दुबई द्वारा प्रस्तावित वैट एवं लागू आयात शुल्क तथा माल एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था में आ रही दिक्कतों के कारण 43 अरब डॉलर पर स्थिर रहेगा।
राय ने इस मौके पर कहा कि नीति आयोग और आर्थिक मामलों का विभाग एक स्वर्ण नीति पर काम कर रहा है और बजट में इसकी घोषणा की जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसकी घोषणा के बाद देश में सोने की एक समान नीति होगी तथा उसके क्रियान्वयन के लिए नियामक होगा। नीति से मानकीकरण, आयात, सोना और परिशोधन संयंत्रों के लिए विनिमय ढांचा आदि जैसे मसलों का हल होगा। परिषद ने भारत में स्वर्ण बोर्ड जैसा एक प्राधिकरण बनाने की मांग की ताकि नीतियों के दुरुपयोग पर पूरी तरह रोक लगायी जा सके। उसने दावा किया कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच मुक्त व्यापार अनुबंध के कारण 30-40 टन सोना बिना आयात शुल्क के भुगतान के देश में आ जा रहा है।
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