नई दिल्ली। चीनी की कीमतों में आने वाले दिनों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है क्योंकि चीनी उद्योग की मदद के लिए सरकार ने चीनी निर्यात को मंजूरी दी है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने चालू चीनी वर्ष 2017-18 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए 20 लाख चन चीनी निर्यात को मंजूरी दी है। यह कदम चीनी के अतिरिक्त भंडार को कम करने तथा गन्ना किसानों को भुगतान के लिए चीनी मिलों की नकदी स्थिति सुधारने के लिए उठाया गया है।
सरकार ने शुल्क मुक्त आयात अधिकार योजना (DFIA) के तहत सितंबर 2018 तक सफेद चीनी के निर्यात को भी मंजूरी दे दी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू विपणन वर्ष में 21 मार्च तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 13,899 करोड़ रुपये बकाया है। सर्वाधिक 5,136 करोड़ रुपये का बकाया उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद कर्नाटक में 2,539 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र में 2,348 करोड़ रुपये का बकाया है।
खाद्य मंत्रालय ने हालिया आदेश में चालू विपणन वर्ष के दौरान न्यूनतम सूचक निर्यात कोटा योजना के तहत हर श्रेणी के 20 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है। सरकार ने घरेलू कीमतों को स्थिर करने के लिए चीनी पर आयात शुल्क दोगुना बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा निर्यात शुल्क को समाप्त करने के साथ ही चीनी मिलों के भंडार की दो महीने के लिए अधिकतम सीमा तय कर दी है।
चालू विपणन वर्ष में 250 लाख टन की मांग की तुलना में 272 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है। देश में विपणन वर्ष 2016-17 में 203 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। हालांकि चीनी उद्योग के आंकड़ों को देखें तो इस साल देश में चीनी उत्पादन 295 लाख टन तक पहुंच सकता है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन होगा। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक 15 मार्च तक देश में 258.06 लाख टन चीनी पैदा हो चुकी है और 417 मिलों में गन्ने की पेराई का काम चला हुआ था।
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