नयी दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका गहराने को लेकर मार्च महीने में अब तक घरेलू पूंजी बाजारों से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशक जोखिम भरी संपत्तियों से निकासी कर रही है और डॉलर तथा सोने जैसे सुरक्षित निवेश में पैसा लगा रहे हैं।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, दो मार्च से 20 मार्च के दौरान एफपीआई ने इक्विटी से 56,247.53 करोड़ रुपये और बांड से 52,449.48 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह उन्होंने कुल 1,08,697.01 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। इससे पहले सितंबर 2019 से एफपीआई लगातार शुद्ध लिवाल बने हुए थे। मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषण प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, 'इस साल अचानक सामने आये कोरोना वायरस संकट ने वैश्विक शेयर बाजारों को घुटने पर ला दिया है। इसके कारण विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से निकासी कर सुरक्षित निवेश की ओर पलायन कर गये हैं।'
उन्होंने आगे कहा कि इस स्थिति में तभी स्थिरता आने का अनुमान है जब कोरोना वायरस के नियंत्रण में आने के साफ संकेत दिखने लगेंगे। तब तक निवेशकों का ध्यान इन्हीं क्षेत्रों पर बने रहने का अनुमान है। इस स्थिति का पहले से सुस्त पड़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था पर और गंभीर असर होगा और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी निवेश प्रवाह पर भी यह प्रभाव देखा जायेगा। 20 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में सेंसेक्स में 4,187.52 अंक यानी 12.27 प्रतिशत तथा निफ्टी में 1,209.75 अंक यानी 12.15 प्रतिशत की गिरावट रही है।
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