एक और बड़े आईपीओ आने का रास्ता साफ हो गया है। प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े बैंक, HDFC Bank के निदेशक मंडल ने अपनी सब्सिडियरी कंपनी एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज (HDB Financial Services) को आईपीओ लाने की मंजूदी दे दी है। इसके तहत एचडीबी से संबंधित 10,000 करोड़ रुपये की बिक्री पेशकश (ओएफएस) सहित 12,500 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री को मंजूरी दे दी है। एचडीएफसी बैंक ने शनिवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज के 10 रुपये अंकित मूल्य के इक्विटी शेयरों की इतनी संख्या के लिए होगी, जो कुल मिलाकर 12,500 करोड़ रुपये तक होगी, जिसमें 2,500 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और 10,000 करोड़ रुपये तक का ओएफएस शामिल है।
प्राइस बैंड तय नहीं किया गया
प्रस्तावित आईपीओ की कीमत और अन्य विवरण सक्षम निकाय द्वारा नियत समय में निर्धारित किए जाएंगे। प्रस्तावित आईपीओ के बाद एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, बैंक की अनुषंगी कंपनी बनी रहेगी। एचडीएफसी बैंक के पास गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज में 94.64 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज के बारे में
एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज की स्थापना में 2007 में की गई। यह कंपनी सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन प्रदान करती है। पूरे भारत में इसकी 1,680 से अधिक ब्रांच हैं। एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज ने जून तिमाही में नेट वर्थ लगभग ₹13,300 करोड़ रही। एनबीएफसी की लिस्टिंग आरबीआई के नए मानदंडों के कारण हो रही है। एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज को सूचीबद्ध करने का निर्णय अक्टूबर 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आदेश का पालन करता है, जिसके तहत बड़े एनबीएफसी को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होना आवश्यक है। एनबीएफसी ने वित्त वर्ष 23 में अपनी लोन बुक में 17% की सालाना वृद्धि दर्ज की, जो 66,000 करोड़ रुपये रही। यह वृद्धि व्यक्तिगत ऋण, वाहन ऋण और छोटे व्यवसाय वित्तपोषण की मजबूत मांग के कारण हुई। इस बीच, वित्त वर्ष 23 में कंपनी का शुद्ध लाभ 1,740 करोड़ रुपये रहा।
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