Charger Color: अमूमन हर व्यक्ति के पास आज के समय में मोबाइल फोन मौजूद है। जब से हमने मोबाइल फोन इस्तेमाल करना शुरू किया है तब से इसके चार्जर का रंग काला या सफेद होता है। पहले अधिकतर चार्जर का रंग काला होता था, लेकिन बीते कुछ सालों में इसका रंग सफेद होने लगा है।
क्या आपने कभी सोचा है कि मोबाइल चार्जर का रंग सफेद या काला ही क्यों होता है? आखिर ऐसा क्यों है कि ये किसी और रंग के नहीं बने हैं? अगर आपने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया तो आज हम आपको इसकी वजह बता रहे हैं। चार्जर्स को काला या सफेद बनाने में बहुत लॉजिक भी लगाया गया है और ये बहुत सोच समझ कर किया गया है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है।
चार्जर काले क्यों होते हैं-
चार्जर काले क्यों होते हैं इसके पीछे तर्क यह है कि यह रंग अन्य रंगों की तुलना में गर्मी को ज्यादा अब्जॉर्ब करता है। काले रंग को एक आइडियल एमिटर कहा जाता है और माना जाता है। इसका इमिशन वैल्यू 1 होता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि ब्लैक कलर मैटेरियल सस्ता होता है अन्य रंगों के मैटेरियल की तुलना में। यही कारण है कि चार्जर काले रंग के बनाए जाते हैं।
चार्जर सफेद क्यों होते हैं-
पहले चार्जर काले रंग में आते थे लेकिन फिर चार्जर सफेद रंग में भी बनाए जाते थे। कई ऐसी कंपनियां हैं जो सिर्फ व्हाइट कलर का चार्जर देती हैं। व्हाइट कलर में कम रिफ्लेक्ट कैपेसिटी है। यह रंग बाहर से आने वाली गर्मी को अंदर नहीं पहुंचने देता है। यह इसे कंट्रोल करता है।
आखिर कैसे काम करता है मोबाइल चार्जर-
हर चार्जर लगभग एक ही तरह से काम करता है। घर में जो करंट आता है वह AC के लिए होता है। AC का मतलब अल्टरनेट करंट होता है। ऐसे में इस सॉकेट में हाउसहोल्ड अप्लायंस का प्लग लगाया जाता है। उन्हें किसी प्रकार के कन्वर्टर की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर किसी डिवाइस में फोन जैसी बैटरी है, तो उसे डीसी करंट की जरूरत होती है। यह वह जगह है जहां मोबाइल चार्जर का उपयोग किया जाता है, यह एक ऐसी डिवाइस है जो बैटरी के चार्ज को स्टोर करता है और फिर उसे एसी से डीसी में कन्वर्ट करता है।
Latest Business News