Walk n Charge: अब जूते से चार्ज होंगे स्मार्टफोन और लैपटॉप, वैज्ञानिकों ने विकसित की एनर्जी हार्वेस्टिंग
वैज्ञानिकों ने एनर्जी हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी की एक तकनीक विकसित की है। जिससे दौड़ने से पैदा हुई एनर्जी को स्मार्टफोन चार्ज करने में उपयोग किया जाएगा।
नई दिल्ली। अगर कोई कहे कि आपके जूते पहनकर चलने से आपका स्मार्टफोन और लैपटॉप चार्ज हो जाएगा। तो यह बात थोड़ी अटपटी लगेगी लेकिन अब आप जल्द ही ऐसा कर पाएंगे। अमेरिका के विस्कॉन्सिन मेडिसन(यूडब्ल्यू मेडिसन) यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एनर्जी हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी की एक नई तकनीक विकसित की है। जिसके तहत टहलने और दौड़ने जैसे ह्यूमन मोशन से पैदा हुई एनर्जी को एकत्रित किया जाता है। जिसका प्रयोग मोबाइल और लैपटॉप जैसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चार्ज करने में किया जा सकता है।
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charging shoe
ऐसे काम करेगी तकनीक
रिसर्चर टॉम क्रूपेन्किन के मुताबिक इस तकनीक के तहत आपके फुटवियर में एनर्जी हार्वेस्टर फिट किए जाएंगे। ये हार्वेस्टर आपके चलने फिरने से पैदा हुई एनर्जी एकत्रित कर लेगा। और इसकी बैटरी चार्ज होने के बाद एक पावर बैंक का काम करेंगी। जिन्हें बाद में गैजेट्स चार्ज करने के काम में लिया जा सकता है। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एक फुटवियर करीब 10 वॉट तक बिजली पैदा कर सकता है। ऐसे में पैदल चलने से 20 वॉट की बिजली पैदा की जा सकती है। जबकि एक स्मार्टफोन चार्ज होने के लिए सिर्फ 2 वॉट की बिजली का उपयोग करता है।
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खत्म होगा मोबाइल चार्जिंग का झंझट
एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर चलने वाले स्मार्टफोन्स के लिए सबसे बड़ी समस्या फोन की बैटरी डिस्चार्ज होने को लेकर है। वैज्ञानिकों ने इसी मुश्किल को हल करने के लिए एनर्जी हार्वेस्टिंग की तकनीक विकसित की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक के प्रचलन में आने के बाद आप कहीं भी हों, आपको कभी भी फोन डिस्चार्ज होने का डर नहीं सताएगा। बस आपको थोड़ी जॉगिंग या चहलकदमी करनी होगी। आपका फोन चार्ज हो जाएगा।
विकासशील देशों और सेना के लिए उपयोगी
इस तकनीक से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक ये तकनीक विकासशील और पिछड़े देशों के लिए बेहद उपयोगी है। जहां पर बहुत से दूरदराज के इलाकों में अभी तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। यहां पर लोग दिन भी कड़ी मेहनत करते हैं। यदि इस तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाए तो लोगों की इसी एनर्जी को उनकी बेहतरी के लिए उपयोग किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये तकनीक सैनिकों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी। इस तकनीक के प्रयोग के बाद उन्हें अपने रेडियो, जीपीएस और नाइट विजन गॉगल्स के लिए भारी बैटरी कैरी करने की जरूरत नहीं होगी।
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