नई दिल्ली। कर्ज के बोझ से दबी अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को दिवाला प्रक्रिया के तहत लाया जाए या नहीं इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) 15 अप्रैल को फैसला करेगा। आरकॉम ने एनसीएलएटी से इस मामले में दिवाला प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। कंपनी अपने कर्जदाताओं को उनका बकाया लौटाने में असफल रही है।
आरकॉम की इस याचिका का स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्सन विरोध कर रही है। आरकॉम ने एरिक्सन का 550 करोड़ रुपए का बकाया पिछले महीने सुप्रीप कोर्ट के आदेश के बाद चुका दिया है।
एनसीएलएटी के चेयरमैन एस.जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ का मानना है कि यदि आरकॉम के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया की अनुमति दी जाती है तो एरिक्सन को 550 करोड़ रुपए वापस लौटाने पड़ सकते हैं।
एनसीएलएटी ने कहा कि क्यों एक पार्टी अपना बकाया ले लेती है, जबकि वित्तीय ऋणदाता नुकसान उठाते हैं। न्यायाधिकरण ने कहा कि वह या तो आरकॉम की दिवाला प्रक्रिया को निरस्त कर सकता है या फिर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दे सकता है।
इससे पहले 4 फरवरी को न्यायाधिकरण ने कहा था कि एनसीएलएटी अथवा सुप्रीम कोर्ट का अगला आदेश आने से पहले कोई भी आरकॉक की संपत्ति को न तो बेच सकता है, न ही अलग कर सकता है और न ही उस पर किसी तीसरे पक्ष का अधिकार हो सकता है।
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