Brand Value: अपनी लागत से तीन गुना ज्यादा कीमत पर बिकता है iPhone 6plus, जानिए क्या है असली कीमत
एप्पल आईफोन 6 एस प्लस की असली लागत क्या है यह सुनकर आप चौंक जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक आईफोन 6 प्लस 300% मुनाफे पर बिकता है।
नई दिल्ली। एप्पल का आईफोन सिर्फ एक गैजेट या फिर साधारण मोबाइल ही नहीं, बल्कि एक तरह का स्टेटस सिंबल भी है। इसके लिए युवाओं के बीच दीवानापन इस हद तक है कि लोग लोन और ईएमआई लेकर इसे खरीदते हैं। लोग न सिर्फ जल्दी से जल्दी बुक कराने की कोशिश में रहते हैं, बल्कि फोन के पहले कस्टमर बनने के लिए रात भर लाइन में खड़े रहते हैं। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बेहद महंगा माना जाने वाले आईफोन की निर्माण लागत एप्पल को वास्तव में कुल कीमत की एक तिहाई आती है। आपको विश्वास नहीं होगा पर यह सच है। ग्लोबल रीसर्चर आईएचएस टेक्लोलॉजी, आईएचएस टेकनोलॉजी की ने आईफोन 6 प्लस की असल मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट पर स्टडी की है।
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600 गुना मुनाफे में आईफोन 6 प्लस
रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल आईफोन 6 प्लस 300 फीसदी मुनाफे पर बेचता है। मसलन, आईफोन 6 प्लस का सबसे सस्ता फोन जो 51,000 रुपए में उपलब्ध है उसकी असल लागत केवल 17000 रुपए ही है। अगर 16जीबी आईफोन 6 प्लस में इस्तेमाल होने वाले मैटिरियल की बात की जाए तो वह 15,800 रुपए ही है। वहीं अगर मैन्युफैक्चरिंग की कीमत भी जोड़ दें तो इसकी कुल कीमत 17,000 रुपए से ज्यादा की नहीं है।
आईफोन 6s की देखें तस्वीरें
iPhone 6s
जानिए किस पार्ट की कितनी कीमत
फोन का सबसे कीमती हिस्सा उसका स्क्रीन होता है जो कि अब 3 डी तकनीक से लैस होता है। एक स्क्रीन की कीमत 3,580 रुपए है। अगला कीमती हिस्सा फोन का कैमरा होता है। फ्रंट और रियर दोनो कैमरा (8 मेगापिक्सल और 12 मेगापिक्सल) की मेन्युफैक्चरिंग कीमत केवल 1,530 रुपए होती है। एप्पल के एक्सपैंडेबल मेमोरी ऑफर न करने के पीछे भी एक वजह है। आप को बता दें कि फोन में 1 गीगाबाइट मेमोरी जोड़ने की कीमत 25 रुपए होती है। इस हिसाब से आईफोन 6 प्लस में 16 जीबी मेमोरी की कीमत 400 रुपए हुई जबकि 64 जीबी की 1600 जीबी। तो वास्तव में 16 जीबी आईफोन 6 प्लस और 64 जीबी आईफोन 6 प्लस के बीच में केवल 1200 रुपए का फर्क है मगर यूजर को इसके लिए 7000 रुपए चुकाने पड़ते हैं।
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कीमत में आरएंडडी और एडवर्टिजमेंट की कीमत ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल अपना बिजनेस ही कर रहा है जिसमें वह अच्छी खासी कमाई कर रहा है, लेकिन यह बात जान कर और दुख होता है जब पता चलता है कि वो कर्मचारी 24 घंटे लेता है एक आईफोन बनाने के लिए उसे मात्र 120 रुपए प्रति घंटा दिया जाता है। अगर आप एप्पल के सारे खर्चे कीमत में शामिल करते हैं जैसे कि आर एंड डी, लेबर, शिपिंग, लाइसेंसिंग, टैक्सेस, मार्केटिंग और अन्य टैरेटरी कॉस्ट तब भी मार्गिन और कॉस्ट प्राइस के वीच का अंतर बहुत ज्यादा है। एप्पल की ब्रैंड वैल्यू हम सभी जानते हैं, लेकिन वह 300 फीसदी तक का तो नहीं होना चाहिए।