नई दिल्ली। iPhone बनाने वाली कंपनी Apple की देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार कर एवं शुल्क छूट की मांग के संदर्भ में कुछ विकल्पों पर काम कर रही है। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने प्रथम दृष्ट्या Apple की मांग को खारिज कर दिया लेकिन कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारियों ने इस मुद्दे पर विचार के लिए हाल ही में अंतर-मंत्रालयी समूह से मुलाकात की।
सूत्रों ने कहा कि समूह ने कंपनी की मांग पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि सरकार इसका रास्ता तलाश रही है ताकि अमेरिकी कंपनी के समर्थन में कुछ उपाय किए जा सकें। उसने यह भी कहा कि कंपनी छूट की मांग कर रही है क्योंकि कंपनी स्थानीय बाजारों से कल-पुर्जों की खरीद नहीं करना चाहती है और वह इसके लिए अपनी सप्लाई चेन लाना चाहती है।
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कंपनी विशेष आर्थिक क्षेत्र से खरीदे जाने उत्पादों के मामले में भी शुल्क छूट की मांग कर रही है। फिलहाल सेज से वस्तुओं के निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगता लेकिन वहां उत्पादित वस्तु का घरेलू बाजार में बेचने पर आयात शुल्क लगता है। ऐसी संभावना है कि सरकार उनकी मांग को मान ले क्योंकि कई घरेलू कंपनियां भी ऐसी ही मांग कर रही हैं।
वहीं दूसरी तरफ Apple द्वारा कुछ अन्य शुल्क छूट की जो मांग की जा रही है, उसे भारत को पूरा करना मुश्किल है क्योंकि भारत धीरे-धीरे स्मार्टफोन का एक विनिर्माण केंद्र बन रहा है। देश में किसी कंपनी को कोई प्रोत्साहन या छूट दिये बिना एक मजबूत सप्लाई चेन बन रही है। साथ ही किसी घरेलू या अन्य विदेशी विनिर्माताओं ने अबतक इस तरह की मांग नहीं की है।
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इस बात को लेकर भ्रम है कि अगर सरकार Apple को समर्थन देती है तो इससे मजबूत सप्लाई चेन कमजोर हो सकती है। सूत्रों ने कहा, इसीलिए सरकार को संतुलन बनाना है।
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