नयी दिल्ली। सरकार व्हाट्सऐप पर भेजे जाने वाले संदेशों के स्रोत तक पहुंचने की मांग पर टिकी हुई है जबकि फेसबुक ने संदेशों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की शिकायत पर आगे की कार्रवाई की व्यवस्था किए जाने का प्रस्ताव किया है। संदेश के उद्गम की पहचान का मुद्दा लंबे समय से सरकार और व्हाट्सऐप के बीच विवाद का केंद्र बना हुआ है।
फेसबुक की कंपनी व्हाट्सऐप संदेश डालने वाले मूल व्यक्ति की पहचान बताने की सरकार की मांग को मानने से अभी इनकार करती आ रही है। उसका कहना है कि ऐसा करने से गोपनीयता तथा शुरू से लेकर अंत तक संदेश के इनक्रिप्शन की उसकी नीति प्रभावित होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि फेसबुक के उपाध्यक्ष (वैश्विक मामले एवं संवाद) निक क्लेग ने पिछले सप्ताह केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ मुलाकात की। इस मुलाकात में क्लेग ने संदेशों के मूल स्रोत का पूरा सुराग देने के मुद्दे पर कुछ वैकल्पिक सुझाव दिए हैं। उन्होंने मेटा डेटा (पारिभाषिक डेटा) और मशीन इंटेलीजेंस के इस्तेमाल के साथ ही कानूनी एजेंसियों को व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक के लिंकेज का लाभ देने का विकल्प दिया।
फेसबुक के प्रवक्ता ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, 'फेसबुक भारत में लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखती है। निक की इस सप्ताह हुई बैठक से हमें हमारे हर एप में सुरक्षा एवं गोपनीयता को लेकर हमारी प्रतिबद्धता पर बातचीत का अवसर मिला। हमें यह भी समझने को मिला कि हम इन साझा लक्ष्यों को पाने में भारत सरकार के साथ मिलकर किस तरह से काम कर सकते हैं।' व्हाट्सऐप से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि संदेशों के इनक्रिप्टेड होने की वजह से कंपनी भी इन्हें पढ़ नहीं सकती है।
बता दें कि क्लेग ने गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ 12 सितंबर को मुलाकात की। उन्होंने दोहराया कि व्हाट्सऐप भारत सरकार द्वारा सूचना की वैध मांग को मानने के लिए बाध्य है। हालांकि उन्होंने कहा कि आदान-प्रदान किये गये संदेशों को पढ़ पाना संभव नहीं है। क्लेग ने कहा कि कंपनी सिग्नल और मेटा डेटा प्रदान कर सकती है, यह बता सकती है कि किसे कॉल किया गया और कितनी देर बात की गयी।
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