नई दिल्ली। एक आरे समायोजित सकल आय (एजीआर) के तहत दूरसंचार विभाग को भारी राशि का भुगतान करने से भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर रिलायंस जियो ने कहा है कि कॉल जोड़ने पर लग रहे शुल्क को समाप्त करने के निर्णय लको जनवरी, 2020 के बाद आगे बढ़ाया गया तो इससे किफायती दूरसंचार सेवाएं प्रभावित होंगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एजीआर की परिभाषा का यथावत रखने से भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर पुरानी सांविधिक देनदारी अचानक बन गई है। इसकी वजह से दोनों कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में संयुक्तरूप से 74,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
उधर जियो का कहना है कि नि:शुल्क वॉयस कॉल जैसी किफायती सेवाओं के कारण उपभोक्ताओं को फायदा हुआ है। रिलायंस जियो के निदेशक महेंद्र नाहटा ने कहा कि अब इनकमिग और आउटगोइंग कॉल का अनुपात लगभग बराबर हो चुका है, ऐसे में कोई कारण नहीं है कि बिल एंड कीप व्यवस्था के क्रियान्वयन को टाला जाए।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा आईयूसी मुद्दे पर आयोजित खुले सत्र में नाहटा ने कहा कि एयरटेल ने 4जी नेटवर्क का विस्तार किया है और वोडाफोन आइडिया भी ऐसा करने की बात कर रही है।
उन्होंने कहा कि हम नफा या नुकसान पर विचार नहीं कर रहे हैं, बल्कि सिद्धांतों के आधार पर इसका विरोध कर रहे हैं। कहीं दूर बैठकर सरकार या नियामक के निर्णय की आलोचना करना हमारी समझ से बाहर है। अत: हमने जो बिंदु उठाए हैं, उनके बारे में निर्णय लिए जाएं।
वोडाफोन आइडिया के एक अधिकारी ने कहा कि आज के समय में उपभोक्ताओं के पास मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी यानी एक कंपनी को छोड़ किसी अन्य कंपनी के सेवाएं चुनने की सुविधा है। उन्होंने कॉल जोड़ने पर लगने वाले शुल्क को जारी रखने की पैरवी की है। भारती एयरटेल ने भी कॉल जोड़ने पर लगने वाले शुल्क को शून्य करने का विरोध किया है। कंपनी ने बिल एंड कीप व्यवस्था को कम से कम तीन साल के लिए टालने की मांग की है।
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