नई दिल्ली। सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारी यूनियन ने सरकार के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) लागू करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। यूनियन ने आरोप लगाया कि यह निजी कंपनी को सौंपने से पहले बीएसएनएल के कार्यबल (कर्मचारियों) को कम करने की रणनीति है।
बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन ने बयान में सरकार पर कंपनी के साथ सौतेला रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीएसएनएल को कमजोर करने के लिए सरकार ने कारोबार में वृद्धि के लिए जरूरी 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन जानबूझकर नहीं किया।
कर्मचारी यूनियन ने कहा कि दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने जनवरी 2018 में भरोसा दिलाया था कि बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा, लेकिन यह मामला अभी तक लंबित पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक, दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए एक कैबिनेट नोट जारी किया था, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस तरह के प्रस्ताव की व्यावसायिक व्यवहार्यता पर सवाल उठाए हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दूरसंचार विभाग को बीएसएनएल और एमटीएनएल के पुनरुद्धार के लिए एक विस्तृत रूपरेखा पेश करने के लिए कहा है, जिसमें 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, स्वैच्छिक तंत्र के माध्यम से बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या में कमी आदि शामिल हैं।
यूनियन ने कहा कि ध्यान दिया जाना चाहिए कि एमटीएनएल में वीआरएस दो बार पहले लागू किया जा चुका है। हालांकि, इसने एमटीएनएल की वित्तीय स्थिति में सुधार में कोई मदद नहीं की। इसलिए हम इस ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं कि वीआरएस बीएसएनएल के वित्तीय पुनरुद्धार में मददगार नहीं है।
यूनियन ने कहा कि सरकार को वित्तीय पुनरुद्धार के लिए तुरंत बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटित करना चाहिए और नेटवर्क के विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिए रियायती कर्ज देकर बीएसएनएल की वित्तीय मदद करनी चाहिए।
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