Year Ender 2022: लोगों की जिंदादिली और सरकार की कर्मठता से वैश्विक मंदी के बीच भारत बना उम्मीद की किरण
वित्तीय जानकारों का कहना है कि दुनियाभर की मंदी का असर भारत पर नहीं होने वाला है। इसकी वजह भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद, युवा आबादी, बड़ा बाजार और दुनियाभर के निवेशकों का भरोसा है।
कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध से उपजे संकट ने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया है। दुनिया के कई विकसित देशों में मंदी की आशका जताई जा रही है। इस सब के इतर भारतीय अर्थव्यवस्था न सिर्फ तेज गति से आगे बढ़ रही है बल्कि इस मंदी की चिंता के बीच दुनियाभर के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। आखिर, यह कैसे संभव हुआ है? देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत को यह मुकाम एक दिन में नहीं मिला है। यह मुकाम सरकार की कर्मठता और आम लोगों की जिंदादिली से मिला है। दिसंबर का महीना चल रहा है। इस महीने के समाप्त होने के साथ 1 जनवरी से नए साल का आगाज हो जाएगा। ऐसे में हम सालभार का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहे हैं कि कैसे भारत पर दुनिया का भरोसा बढ़ा और इसके पीछे कौन-कौन सी वजहें रहीं।
भारत में मंदी की आशंका क्यों नहीं
वित्तीय जानकारों का कहना है कि दुनियाभर की मंदी का असर भारत पर नहीं होने वाला है। इसकी वजह भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद, युवा आबादी, बड़ा बाजार और दुनियाभर के निवेशकों का भरोसा है। कोरोना के बाद दुनियाभर की कंपनियों का मोह चीन से भंग हो गया है। ऐसे में वो भारत की ओर रुख कर रहीं है। इसके साथ ही सरकार की नीतियां भी सहायक हुई हैं। सरकार ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) लेकर आई है। इससे दुनियाभर की कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं। इससे देश में रोजगार बड़े पैमाने पर सृजन हो रहा हैं। यह मांग बढ़ाने का काम कर रही हैं। ये सारे फैक्टर्स भारत को एक मजबूत अर्थव्यस्था बनाने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। इससे भारत में मंदी की कोई आशंका नहीं है।
भारत के मुकाबल अन्य देशों की विकास दर
भारत | 7% |
चीन | 3.9% |
अमेरिका | 2.9% |
ब्रिटेन | 2.4% |
जापान | 1.8% |
जर्मनी | 0.4% |
तेजी से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था
कोरोना के बाद यूक्रेन-रूस ने दुनिया की सप्लाई चेन को बिगाड़ दिया है। इसके चलते ब्रिटेन, अमेरिका, चीन समेत कई देश मंदी और आसमान छूती महंगाई से जूझ रहे हैं। महंगाई को काबू करने के लिए दुनियाभर के कई देश लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इससे मंदी की आशंका बढ़ रही है। इन सब के बीच भारत ने न सिर्फ महंगाई पर काबू पाया है बल्कि अपनी ग्रोथ की रफ्तार को बनाए हुए हैं। दुनिया की तमाम रेटिंग एजेंसिया चालू वित्त वर्ष में भारती की जीडीपी 7 फीसदी की दर से वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। हाल ही में विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 के लिए भारत के जीडीपी अनुमान को रिवाइज करते हुए उसे बढ़ा दिया है। विश्व बैंक ने 2022-23 के लिए भारत के वृद्धि दर के अपने अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
इस साल के आर्थिक घटानाक्रम पर नजर डालें तो भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है उसने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का तमगा अपने नाम किया। इसके साथ ही भारत 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर निकल चुका है। जानकारों की मानें तो मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। आने वाला दशक भारत को होगा। दुनिया में भारत एक बड़े आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा।
अगले साल के लिए चुनौतियां भी कम नहीं
भारत के पास अवसर बढ़े हैं तो चुनौतियां भी कम नहीं हुई है। जानकारों की मानें तो भारत को अगले साल महंगाई को काबू कर और रोजगार के अवसर बड़ी संख्या में सृजन करने होंगे। ऐसा नहीं करने से भारतीय अर्थव्यवस्था मिले मौके का फायदा नहीं उठा पाएगा। अगर भारत को अपनी युवा आबादी का फायदा उठाना है तो उसे रोजगार मुहैया करना होगा। इससे देश में मांग बढ़ेगी। यह अर्थव्यस्था की गति को तेज करने में मदद करेगा। वहीं, महंगाई को काबू करने से लोगों के पास बचत बढ़ेगी। वो इस पैसे का उपयोग अपनी जरूरत को पूरा करने में करेंगे। इसके लिए सरकार को ठोस रणनीति बनानी होगी।