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हेल्थ इंश्योरेंस लेकर भी हुए परेशान, इतने फीसदी लोगों को क्लेम देने में बीमा कंपनियों ने रुलाया

सर्वे करने वाली संस्था ‘लोकलसर्किल्स’ के सर्वेक्षण में शामिल 93 प्रतिशत प्रतिभागियों में से अधिकांश ने इस स्थिति से बचने के लिए नियामकीय मोर्चे पर बदलाव की वकालत की।

Health Insurance - India TV Paisa Image Source : FILE हेल्थ इंश्योरेंस

आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस जरूरत हो गई है। अस्पताल में बढ़ते इलाज खर्च के कारण हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि हेल्थ इंश्योरेंस लेने से उनकी परेशानी खत्म हो जा रही है। बीमा कंपनियां क्लेम देने में काफी परेशान कर रही हैं एक सर्वे में यह जानकारी मिली है। सर्वे के अनुसार, पिछले तीन साल में लगभग 43 प्रतिशत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों को अपने दावों का निपटारा कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। देशभर के 302 जिलों के 39,000 से अधिक लोगों के बीच कराए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि पॉलिसीधारकों को दावे नकारे जाने, आंशिक अनुमोदन और उनके निपटान में लंबा वक्त लगने जैसी चुनौतियां झेलनी पड़ीं।

93 प्रतिशत नियम में बदलाव के पक्ष में 

सर्वे करने वाली संस्था ‘लोकलसर्किल्स’ के सर्वेक्षण में शामिल 93 प्रतिशत प्रतिभागियों में से अधिकांश ने इस स्थिति से बचने के लिए नियामकीय मोर्चे पर बदलाव की वकालत की। बीमा कंपनियों को हर महीने अपनी वेबसाइट पर विस्तृत दावों और पॉलिसी रद्दीकरण डेटा का खुलासा अनिवार्य करने की मांग भी शामिल है। लोकलसर्किल्स ने बयान में कहा कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के कुछ हस्तक्षेपों के बावजूद उपभोक्ताओं को अपने स्वास्थ्य दावे प्राप्त करने के लिए बीमा कंपनियों से जूझना पड़ रहा है। इसने स्वास्थ्य बीमा दावों को बीमा कंपनी द्वारा नकारे जाने और पॉलिसी निरस्त कर देने जैसी समस्याओं का भी उल्लेख किया। कई बार बीमा कंपनियां दावे में की गई समूची राशि के बजाय आंशिक राशि को ही मंजूरी देती हैं। 

बुजुर्गों को स्वास्थ्य बीमा दायरे में लाने की जरूरत

बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा के मामले में भारत एशिया-प्रशांत देशों में सबसे निचली कतार में है और उसे तेजी से बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने और वृद्धि की रफ्तार को कायम रखने के लिए सबको स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने की जरूरत है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बृहस्पतिवार को ‘एजिंग वेल इन एशिया’ शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा कि दक्षिण कोरिया और थाइलैंड ने सार्वभौमिक (यूनिवर्सल) स्वास्थ्य कवरेज हासिल कर लिया है, जबकि भारत समेत कई देश पीछे हैं। इन देशों में वृद्ध लोगों के बीच स्वास्थ्य बीमा की पहुंच सबसे कम 21 प्रतिशत है। 

बीमा उत्पाद पर आयु प्रतिबंध हटाया

बाजार को व्यापक बनाने और स्वास्थ्य देखभाल खर्चों से पर्याप्त सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बीमा नियामक इरडाई ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्तियों के लिए 65 वर्ष की आयु सीमा हटा दी है। स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को खरीदने पर अधिकतम आयु प्रतिबंध को समाप्त करके भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) का लक्ष्य एक अधिक समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है, जो अप्रत्याशित चिकित्सा खर्चों के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करता है। पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार, व्यक्तियों को केवल 65 वर्ष की आयु तक नई बीमा पॉलिसी खरीदने की अनुमति थी।

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