World Car-Free Day: दुनियाभर में वाहनों से होने वाला प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। इसके चलते ग्लोबल वार्मिंग का खतरा पैदा हो गया है। बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए हर साल 22 सितंबर यानी आज कार फ्री डे मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत दुनियाभर के लोग एक दिन पूरी तरह से कार का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इस पहल का उद्देश्य गाड़ियों का इस्तेमाल कम से कम एक दिन के लिए बंद करना और शरीर को व्यायाम करना है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सिर्फ एक दिन कार नहीं चलाने से लाखों टन ईंधन की बचत होती है। साथ ही बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है। इससे पार्यवरण को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार कार फ्री डे को अधिक से अधिक प्रसारित किए जाने की जरूरत है।
क्या इलेक्ट्रिक कार का कर सकते हैं इस्तेमाल
बहुत सारे लोगों के मन में यह सवा हो सकता है कि आज कार फ्री डे हैं तो क्या मैं इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल कर सकता हूं या नहीं? जानकारों का कहना है कि कार फ्री डे का मकसद प्रदूषण में कमी लाना है। इसके लिए एक दिन कार इस्तेमाल नहीं करने की मुहिम चलाई जाती है। हालांकि, अगर किसी के पास इलेक्ट्रिक कार है तो वह उसका इस्तेमाल कर सकता है। ऐसा इसलिए कि इलेक्ट्रिक कार पर्यावरण में किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलाते हैं। इससे इंसान और पशु-पक्षियों की सेहत पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं पड़ता है। इसलिए इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल बेहिचक किया जा सकता है।
World Car-Free Day का इतिहास
1990 के दशक से आइसलैंड, यूके आदि देशों में कहीं-कहीं कार फ्री डे का आयोजन शुरू किया गया था। हालांकि, 2000 में कार्बस्टर्स द्वारा शुरू किए गए वर्ल्ड कार-फ्री डे के साथ अब यह अभियान वैश्विक हो गया है। आपके मन में यह सवाल हो सकता है कि 22 सितंबर को ही कार फ्री डे के लिए क्यों चुना गया तो इसकी वजह है कि यूरोपीय संध द्वारा यूरोपीय मोबिलिटी सप्ताह 16 से 22 सितंबर को मनाया जाता है। इसलिए कार फ्री डे मानने की तारीख 22 सितंबर रखा गया। इस पहल का मकसद शहर के योजनाकारों और राजनेताओं को इस बात के लिए प्रेरित करना है कि वे मोटर वाहनों के बजाय साइकिल चलाना, पैदल चलना और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दें। मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंच रहा है यह जगजाहिर है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज दुनिया में कई जगहों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं और असमय होने वाली बेतहाशा बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन गई है। पर्यावरण के प्रदूषण बढ़ने से लोगों को इसका परिणाम भी भुगतना पड़ रहा है।
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